फूल और भी तो बहुत है, महकाने को जिंदगी
फूल और भी तो बहुत है, महकाने को जिंदगी।
तो फिर शिकायत करें क्यों, हम जीने को जिंदगी।।
फूल और भी तो बहुत है———————।।
आज है शाम सफर में तो, होगी कल को सुबह भी।
आज इससे है खफ़ा तो, होगी कल को सुलह भी।।
राहें और भी तो बहुत है, मंजिल पाने को जिंदगी।
तो फिर शिकायत करें क्यों, हम जीने को जिंदगी।।
फूल और भी तो बहुत है——————।।
उस यार से क्या मतलब, दिया नहीं हो जिसने साथ।
निकालने को मुसीबत से, मिलाया नहीं हो कभी हाथ।।
साथ और भी तो बहुत है, प्यार देने को जिंदगी।
तो फिर शिकायत करें क्यों, हम जीने को जिंदगी।।
फूल और भी तो बहुत है——————-।।
उसपे बर्बाद नहीं हो, जिसने किया नहीं आबाद।
तू इश्क उससे छोड़ दें, तू हो जा जी.आज़ाद।।
ख्वाब और भी तो बहुत है, सजाने को जिंदगी।
तो फिर शिकायत करें क्यों, हम जीने को जिंदगी।।
फूल और भी तो बहुत है——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)