“फूल और काँटे”
“फूल और काँटे”
फूल जीवन की बहार है
क्यों?काँटो पर भी ऐतबार है,
दिन निकला और फूल खिले
काँटे भी दोनों संग गले मिले,
सुवासित फूल जब टूटने जाए
काँटे भी अपना वजूद दिखाए,
हाथ सुगंध से है भर पूर,
लहू बून्द का दिखे नूर,
खिले फूल झुक जाऐं हो विनम्र
काँटे थाम रखें उन्हें हरदम,
काँटे और फूलों का गहरा नाता
एक बाग दोनों का जीवन दाता।
दीपाली कालरा