फूलों सा व्यवहार करो
घृणा के काँटे ना चुभाओ
फूलों सा व्यवहार करो
अपना हो या पराया हो
हर अतिथि का सत्कार करो
यदि बड़ा बनना है तो
अपना हृदय बड़ा करो
अपना हित बाद में सोचो
पहले जग का भला करो
जीवन सफल तभी होगा
तुम सदा परोपकार करो
घृणा के काँटे न चुभाओ
फूलों सा व्यवहार करो