*फूलों सा एक शहर हो*
फूलों सा एक शहर हो
*******************
फूलों सा एक शहर हो,
दिल में न कोई जहर हो।
मन की नगरी मनभावन,
प्रेम की बहती नहर हो।
हाल ए जियरा खास हो,
खुशी का घर में वास हो,
रंज ए गम न छू पाये,
स्वर्ण सी हर दोपहर हो।
सरिता सी शांत शाम हो,
सुखाला उपवन धाम हो,
बरखा बरसे खुशियों की,
शोभनीय सदा पहर हो।
बस एक तेरा साथ हो,
हाथ में तेरा हाथ हो,
अंग-संग बसर सांस में,
लहराती नीर लहर हो।
मानसीरत मन मंदिर हो,
भक्ति की शक्ति अंदर हो,
ढलते – ढलते ढल जाए,
गजल सी सुंदर बहर हो।
फूलों सा एक शहर हो,
दिल में न कोई जहर हो,
मन की नगरी मनभावन,
प्रेम की बहती नहर हो।
********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)