फूलों को तो गले लगाया
फूलों को तो गले लगाया
काँटों से भी खूब निभाया
आएगा खुशियों का मौसम
खुशबू का संदेशा आया
ऋतुराज का हुआ आगमन
मदहोशी का आलम छाया
अलग शाख से होना सबको
पतझड़ ने ये खूब सिखाया
नहीं ग़मों की धूप जलाती
अगर बड़ों की हम पर छाया
दिया दर्द माना ठोकर ने
मंज़िल तक लेकिन पहुँचाया
नहीं ‘अर्चना’ माना ये मन
इसको भायी केवल माया
3-3-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद