Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Aug 2024 · 1 min read

फूलों की खुशबू सा है ये एहसास तेरा,

फूलों की खुशबू सा है ये एहसास तेरा,
दिन मेरा गुलाब सा महक जाता है।
मैं शब्द लिखती हूँ तेरी सादगी पर,
हाय तराना प्यार का बन जाता है।
अर्चना मुकेश मेहता

27 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कोई पूछे मुझसे
कोई पूछे मुझसे
Swami Ganganiya
बरसात आने से पहले
बरसात आने से पहले
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
फ़ना
फ़ना
Atul "Krishn"
मेरा लड्डू गोपाल
मेरा लड्डू गोपाल
MEENU SHARMA
कभी किसी की सुंदरता से प्रभावीत होकर खुद को उसके लिए समर्पित
कभी किसी की सुंदरता से प्रभावीत होकर खुद को उसके लिए समर्पित
Rituraj shivem verma
बुंदेली दोहा
बुंदेली दोहा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
2797. *पूर्णिका*
2797. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हालातों से युद्ध हो हुआ।
हालातों से युद्ध हो हुआ।
Kuldeep mishra (KD)
सारे  ज़माने  बीत  गये
सारे ज़माने बीत गये
shabina. Naaz
किसी भी चीज़ की आशा में गवाँ मत आज को देना
किसी भी चीज़ की आशा में गवाँ मत आज को देना
आर.एस. 'प्रीतम'
कोई नी....!
कोई नी....!
singh kunwar sarvendra vikram
एहसान
एहसान
Kshma Urmila
बेरोजगारी की महामारी
बेरोजगारी की महामारी
Anamika Tiwari 'annpurna '
कुण्डलियां छंद-विधान-विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
कुण्डलियां छंद-विधान-विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
Vijay kumar Pandey
ये सच है कि सबसे पहले लोग
ये सच है कि सबसे पहले लोग
Ajit Kumar "Karn"
मुहब्बत का मौसम है, बारिश की छीटों से प्यार है,
मुहब्बत का मौसम है, बारिश की छीटों से प्यार है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
उस रब की इबादत का
उस रब की इबादत का
Dr fauzia Naseem shad
दिगपाल छंद{मृदुगति छंद ),एवं दिग्वधू छंद
दिगपाल छंद{मृदुगति छंद ),एवं दिग्वधू छंद
Subhash Singhai
हे बुद्ध
हे बुद्ध
Dr.Pratibha Prakash
उसकी जरूरत तक मैं उसकी ज़रुरत बनी रहीं !
उसकी जरूरत तक मैं उसकी ज़रुरत बनी रहीं !
Dr Manju Saini
"दस्तूर"
Dr. Kishan tandon kranti
कभी अपने लिए खुशियों के गुलदस्ते नहीं चुनते,
कभी अपने लिए खुशियों के गुलदस्ते नहीं चुनते,
Shweta Soni
*सौभाग्य*
*सौभाग्य*
Harminder Kaur
*यह समय घोर कलयुग का है, सोचो तो यह युग कैसा है (राधेश्यामी
*यह समय घोर कलयुग का है, सोचो तो यह युग कैसा है (राधेश्यामी
Ravi Prakash
😊इशारा😊
😊इशारा😊
*प्रणय प्रभात*
जीवन और जिंदगी में लकड़ियां ही
जीवन और जिंदगी में लकड़ियां ही
Neeraj Agarwal
हारो बेशक कई बार,हार के आगे झुको नहीं।
हारो बेशक कई बार,हार के आगे झुको नहीं।
Neelam Sharma
कर (टैक्स) की अभिलाषा
कर (टैक्स) की अभिलाषा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आ जा उज्ज्वल जीवन-प्रभात।
आ जा उज्ज्वल जीवन-प्रभात।
Anil Mishra Prahari
सविनय निवेदन
सविनय निवेदन
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...