फूट-फूटकर माँ रोई , बेटों के बँटवारे पर।
आँगन में दीवार पड़ गयी,
छाया सन्नाटा द्वारे पर,
फूट-फूटकर माँ रोई ,
बेटों के बँटवारे पर,
हमने ढलते आँसू देखे ,
तुलसी के चौबारे पर,
फूट-फूटकर माँ रोई,
बेटों के बँटवारे पर,
तनिक दया भी नहीं दिखायी
सुख जैसे मेहमानों ने,
हृदय दुखाया पल-पल जी भर,
बहुओं के भी तानों ने,
एक-एक कर हवन हो गयीं,
सब खुशियाँ अंगारे पर,
फूट-फूटकर माँ रोई,
बेटों के बँटवारे पर,
भाग्य गया वनवास ढूँढ़ने
हँसी उड़ायी लोगों ने
देख-देख बस हँसे जमाना,
बैठा सिर्फ़ किनारे पर
फूट-फूटकर माँ रोई ,
बेटों के बँटवारे पर।