फूँक कर हर पग बढ़ाना चाहिये
फूँक कर हर पग बढ़ाना चाहिये
ज़िन्दगी में गर सफलता चाहिये
काटते हैं तन्हा तन्हा ये महल
हमको दिल का आशियाना चाहिये
दूर जिम्मेदारियों से भागते
पर वसीयत में तो हिस्सा चाहिए
है बहुत मजबूत मन पर क्या करें
बूढ़े इस तन को सहारा चाहिये
माँग पूरी बच्चों की कैसे करें
चाँद उनको जब खिलौना चाहिये
जग उड़ाता रोने वालों की हँसी
हाल में हर मुस्कुराना चाहिए
आप हमको मिल गये सब पा लिया
ज़िन्दगी से अब हमें क्या चाहिए
“अर्चना’ गर दो किसी को भी वचन
उसको शिद्दत से निभाना चाहिये
डॉ अर्चना गुप्ता
03-12-2017