फुर्सत
जब महफिल उठ गयी
तो घर याद आया है ।
किस कामयाबी पर नाज़ करें ,
ऐसा कुछ किया क्या है ?
कुछ करते हैं तो कमाल करते हैं ,
नहीं करते तो और कमाल करते हैं।
ऐसे कैसे हरदम मशरूफ़ हैं ?
थोड़ी फुर्सत हम से उधार ले लें ।
जब महफिल उठ गयी
तो घर याद आया है ।
किस कामयाबी पर नाज़ करें ,
ऐसा कुछ किया क्या है ?
कुछ करते हैं तो कमाल करते हैं ,
नहीं करते तो और कमाल करते हैं।
ऐसे कैसे हरदम मशरूफ़ हैं ?
थोड़ी फुर्सत हम से उधार ले लें ।