फुर्सत के सिवा कुछ नहीं था नौकरी में उस। रुसवाईयां चारों तरफ
फुर्सत के सिवा कुछ नहीं था नौकरी में उस। रुसवाईयां चारों तरफ, फिर भी बहुत थे खुश।
सब एक जैसे लोग सबके एक थे विचार, कीचड़ से बहुत दूर थे जो रहते सदा नाखुश।।
फुर्सत के सिवा कुछ नहीं था नौकरी में उस। रुसवाईयां चारों तरफ, फिर भी बहुत थे खुश।
सब एक जैसे लोग सबके एक थे विचार, कीचड़ से बहुत दूर थे जो रहते सदा नाखुश।।