फुर्सत कहाँँ अपने ख्वाबों के लिए …
गौरवर्णा ,
सुदर्शना ,
सुसंस्कृत ,
मृदुभाषी ,
गृहकार्य में दक्ष
भाव प्रधान नारी –
पति की सेवा
बच्चों की परवरिश में मशगूल ;
ज्ञान-विज्ञान से अपरिचित
विविध कलाओं से अनजान
खुद को दुनिया से काटकर –
घर की चारदीवारी में ,
देवी बन बैठ जाती है ।
सुनहरे अवसर –
उसके द्वार तक आते
खटखटाते ;
पर उसे फुर्सत कहाँँ
अपने ख्वाबों के लिए …।
(मोहिनी तिवारी)