फुर्सत कभी कभी
मिलती है जिन्दगी में फुर्सत कभी कभी
फुर्सत जो मिले तो मिल जाओ कभी कभी
जिन्दगी में इस कदर तुम मशरूफ हो गए
मशरूफियत में फुर्सत पल ढूँढो कभी कभी
जीवन खत्म हो जाता है काम होते नहीं खत्म
जब सांस रहे ना साथ मिल पाओगे नहीं कभी
धन दौलत अर्जन रास्ते तू इस कदर ना चल
माया तो मिल जाएगी साथी ना मिलेंगे कभी
धन माया ठगनी के खजाने धरे जाएंगे यहीं
फिर काहे को जोड़े मूर्ख ढह जाएंगे ढेर सभी
हर रिश्ते की है अहमियत तुम समझो नादान
तुम रिश्तों के बीच रहना तो सीखो कभी कभी
मुश्किल से मिल पाते हैं जिन्दगी में सच्चे दोस्त
दोस्तों के अंजुमन में तुम आया करो कभी कभी
मिलती है जिन्दगी में फुर्सत कभी कभी
फुर्सत जो मिले तो मिल जाओ कभी कभी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत