Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jul 2024 · 1 min read

फुरसत के वो दिन भी बीत गए अब तो,

फुरसत के वो दिन भी बीत गए अब तो,
यूं ज़िम्मेदारियों ने बहुत उलझा रखा है

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

1 Like · 52 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मन जो कि सूक्ष्म है। वह आसक्ति, द्वेष, इच्छा एवं काम-क्रोध ज
मन जो कि सूक्ष्म है। वह आसक्ति, द्वेष, इच्छा एवं काम-क्रोध ज
पूर्वार्थ
"अचरज"
Dr. Kishan tandon kranti
*जीत का जश्न*
*जीत का जश्न*
Santosh kumar Miri
मेरी एक सहेली है
मेरी एक सहेली है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दुश्मन कहां है?
दुश्मन कहां है?
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
उदास रात सितारों ने मुझसे पूछ लिया,
उदास रात सितारों ने मुझसे पूछ लिया,
Neelofar Khan
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
Rj Anand Prajapati
अल्फ़ाज़ हमारे”
अल्फ़ाज़ हमारे”
Yogendra Chaturwedi
शिव
शिव
Dr. Vaishali Verma
वो जो कहें
वो जो कहें
shabina. Naaz
बची रहे संवेदना...
बची रहे संवेदना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
बिन माली बाग नहीं खिलता
बिन माली बाग नहीं खिलता
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
नए वर्ष की इस पावन बेला में
नए वर्ष की इस पावन बेला में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ऐसा कहा जाता है कि
ऐसा कहा जाता है कि
Naseeb Jinagal Koslia नसीब जीनागल कोसलिया
मिट्टी
मिट्टी
DR ARUN KUMAR SHASTRI
🙅गारंटी की वारंटी🙅
🙅गारंटी की वारंटी🙅
*प्रणय*
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
माज़ी में जनाब ग़ालिब नज़र आएगा
माज़ी में जनाब ग़ालिब नज़र आएगा
Atul "Krishn"
मैं बेबाक हूँ इसीलिए तो लोग चिढ़ते हैं
मैं बेबाक हूँ इसीलिए तो लोग चिढ़ते हैं
VINOD CHAUHAN
4587.*पूर्णिका*
4587.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पिता की दौलत न हो तो हर गरीब वर्ग के
पिता की दौलत न हो तो हर गरीब वर्ग के
Ranjeet kumar patre
अपनी मर्ज़ी के
अपनी मर्ज़ी के
Dr fauzia Naseem shad
मेरी कविताएं पढ़ लेना
मेरी कविताएं पढ़ लेना
Satish Srijan
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
हुनर मौहब्बत के जिंदगी को सीखा गया कोई।
हुनर मौहब्बत के जिंदगी को सीखा गया कोई।
Phool gufran
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
मन में मातम हो कहीं,
मन में मातम हो कहीं,
TAMANNA BILASPURI
व्यावहारिक सत्य
व्यावहारिक सत्य
Shyam Sundar Subramanian
आसमान का टुकड़ा भी
आसमान का टुकड़ा भी
Chitra Bisht
बीते कल की क्या कहें,
बीते कल की क्या कहें,
sushil sarna
Loading...