फुटपाथों पर लोग रहेंगे
फुटपाथों पर लोग रहेंगे
महलों में जब चोर रहेंगे
इंकलाबी शोर रहेंगे
क्रूर घटा घनघोर रहेंगे
हर, जन तब तक दुखी रहेगा
घुट जामों की जमी रहेगी
अपनों से जब ठनी रहेगी
थानों में रिश्वत जनी रहेगी
जनता दर्शक बनी रहेगी
हर,जन……..……………….
टूटी खाट की खूंट रहेगी
आपस में जब फूट रहेगी
लाज़ लूटती बूट रहेगी
न्यायालय में लूट रहेगी
हर,जन……………………..
अपराधों का कहर रहेगा
अपनों में जब बैर रहेगा
ज़हर भरा हर पहर रहेगा
बेचैन हर शहर रहेगा
हर,जन………………………
लूटपाटों से त्रस्त रहेंगे
अधिकारी जब भ्रष्ट रहेंगे
पतन मार्ग प्रशस्त रहेंगे
लोग अभाव से ग्रस्त रहेंगे
हर,जन…………………….
ज़ुल्म-ए-दौर बेहिसाब रहेंगे
जब सोये-सोये से ज़नाब रहेंगे
ख़तरे में हर ख्वाब रहेंगे
अफ़सर बने नवाब रहेंगे
हर, जन……………………..
सहमा-सहमा शहर रहेगा
सड़कों पर जब खून बहेगा
कानून देख सब मौन रहेगा
अपनी बात फिर कौन कहेगा
* हर, जन कब तक दुखी रहेगा ?
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता-मऊ (उ.प्र.)