फिल्म – प्यार तो प्यार हैं
फिल्म – प्यार तो प्यार हैं रील -03 स्क्रिप्ट – रौशन राय 9515651283/8591855531
तो होगा न भावी जी तो भावी थोड़ा नाॅरमल हुई। तभी भैया जी बोले आप सब टिकिट कि चिंता न करें हम आॅलरेडी तीन टिकिट बनवाकर अपने जेब में रखें हैं कहें तों मैं आपको दिखा दुं। अब तों भावी जी का खुशी सातवें आसमान पर था। इसी बीच राजु बोल पड़ा भैया जी आप हमारे हिसाब से गलत कर रहे हैं भैया जी चुप रहें और भावी जी बोल पड़ी कैसा गलत राजु , तो राजु ने कहा कि वो तीनों जन हमारे बारे में किया सोचेगा कि हमारे बहुत बाद में आके ये लड़का हमसे हमारा सुख छीन लिया और हम तीनों में से किसी को भैया भावी जी कुछ नहीं पुछ रहें हैं। तो भैया ने कहा कि राजु बेटे जब तुम नहीं था तो भी वो लोग हमारे साथ जाने से हिचकीचाता था और तीनों में से कोई भी जानें के लिए तैयार नहीं होता था तो हम तीनों जन को खर्चा देकर जहां जिसका मर्जी जहां होता उन सबको वही जाने देते थे और जब हम वापस आते थे तो वह तीनों वापस आ जाता था। इन सब बातों को छोड़ों अभी खाने के लिए सब आ ही रहा है अभी पुछ लेते हैं ताकि राजु का शक दुर हो जाएगा। हां भैया जी हम भी तो देखें कि वो तीनों का क्या बिचार हैं । भैया भावी जी बोले ठीक है राजु खाना का दो टेवल लगाया और उन तीनों जन को बुलाया तीनों जन आयें और अपनी अपनी कुर्सी लेकर लगें टेवल पर प्लेट के सामने बैठ गया एक कुर्सी बच गया जो राजु का था। तभी भैया जी बोले बच्चों यदि सब मिल कुछ कुछ काम में हाथ बटाएगा तों काम जल्दी हो जाएगा और राजु को भी थोड़ा आराम होगा।राजु का नाम सुनते ही सब जल उठा पर कुछ बोला नहीं वो तीनों सोच लिया कि राजु भैया भावी जी से हम तीनों का शिकायत कि हैं पर राजु तों ऐसा सोचता तक नहीं तो शिकायत बड़ी दुर की बात हो गई। तीनों ने राजु को गुड़ा के देखा पर राजु मुस्कुरा दिया अब तों पुरा शक हो गया तीनों को कि राजु हम लोगों कि शिकायत जरुर कि हैं पर राजु का तों सब दिन का आदत था मुस्कुरा के देखना और बोलना है वो वहीं किया राजु के वजह से सब लोग बैठे थे और भैया भावी भी तभी भावी बोली अरे राजु आज तुम्हारा काम खत्म होगा कि नही, राजु बस भावी जी मैं अपने लिए पानी लेलू तब तक आप लोग भोजन शुरू किजिए भैया नहीं नही मेरे बच्चे तुम आओ तभी हम खाना शुरू करेंगे ये बात तो जैसे उन तीनों को किसी शुल कि तरह उनके दिल पर लगा तब तक राजु पानी लेकर कर टेवल के पास आ गया और बोला अब तों खाना शुरू किजिए भैया पहले तुम बैठो और खाना शुरू करो ये सब बातें तों उन तीनों को किसी वीषैले सांप की तरह डंक मार दिया। अब राजु टेवल पर प्लेट के सामने बैठ गया और बोला भैया भावी जी पहले आप दोनों जन शुरू किजिए तब हम खाएंगे कि भैया जी तुरंत शुरू कर दिए उनके पिछे सब लोग खाना शुरू कर दिया आधा आधा पेट सब ने खाना खाया कि भैया जी बोले पड़ें बच्चों हम सब घुमने हिमाचल प्रदेश जा रहें हैं बताओं हमारे साथ कौन कौन जाना चाहता है तो एक ने कहा कि भैया जी हमको जाने कि ईक्षा नही है और तीनों ने तीन तरह का बहाना बना कर अपने आपको जाने से बचा लिया और एक ने कहा भैया आपके साथ जाने के लिए राजु तों हैं ही। फिर एक साथ तिनों बोला हां भैया जी राजु तो हैं न क्यूं राजु तुम जाएगा न भैया भावी जी के साथ पुछा। राजु एकदम चुप होकर सबका बात सुन रहा था तभी भावी बोली क्यों राजु तुम चलेगा मेरे साथ राजु बोला हम आपके साथ जरुर चलेंगे यदि आप हमको अपने साथ लें चलने के योग्य समझते हैं तों,जैसे तीनों ने राजु के कहें इस वाक्य को सुना कि भैया जी से बोला लिजिए भैया राजु तैयार है तब तक लगभग सब खाना खा चुका था और भैया भावी के होने का इंतजार कर रहा था भैया ने प्लेट पर ध्यान दिया तो वो बोलें और कुछ चाहिए तो ले लों तों तीनों ने एकसाथ कहा कि अब नहीं भैया जी अब भरपुर हो गया है । तो भैया जी बोले ठीक है तुम लोग उठ जाओ और जाकर आराम करो वो तीनों उठकर अपना अपना प्लेट धोकर रखा और अपने अपने विस्तर पर पहुंच गया और राजु चुपचाप देख रहा था जैसे तीनों अंदर गया कि भैया जी बोले क्यों राजु साहेब अब बताइए कि आप तो अपने आंख से लिया और कान से सुन भी लिया होगा। राजु हां भैया जी , तो कहो राजु तुम चलेगा न हमारे साथ जिज्ञासा बस भावी ने राजु से पुछी। राजु अवश्य चलेंगे आप दोनों के साथ आप के बिना तो मुझे भी अच्छा नही लगेगा और तो और राजु हमारे न रहने पर ये लोग तुम्हें परेशान भी करेगा ऐसा भैया ने राजु से कहा । राजु हां भैया जी हमको भी ऐसा ही अनुभव होता हैं और भैया जी हम तो आपके सेवा के लिए ही तों हैं गांव में हमारी बुढ़ी और विधवा मां और यहां पर आप दोनों देवी देवता तुल्य मां बाप के जैसा भैया भावी कहलूं या मालिक मालकिन राजु कि बात सुनकर भैया जी मन मुग्ध हो गए और भावी बोली मैं कुछ नहीं हूं बस तुम्हारा भैया भावी ही हूं। मालिक तों एक ही है जो तेरा और मेरा भी मालिक हैं वो है ईश्वर और ईश्वर के सिवा दुसरा मालिक कोई और नहीं तो क्या तुम तैयार हो चलने के लिए। हां भैया जी मैं तैयार हूं आपके साथ चलने के लिए और तीनों जन खाना खा ही चुके थे और अपना अपना कुर्सी छोड़ दिए और राजु अपना काम निपटा कर भैया भावी का बारी बारी से पांव दवाया और भैया भावी के कहने के बाद वो सोने के लिए और भैया भावी आपस में बातें करते करते वो भी हो गए सुबह राजु पांच बजे उठ गया और अपना नीत क्रिया करके चय बनाया तब तक सुबह के छऽ बज गया और राजु बारी बारी से सबको जगाया और सबको विस्तर पर चय पहुंचा दिया हर रोज सात बजे उठते थे भैया ने घड़ी के ओर ध्यान दिया तो देखा छऽ बजे उनके हाथ में चय का कप और प्याला है तो वो चौंक गए वो सोचने लगे कि इस राजु को भी हमेशा काम का भुत चढ़ा रहता है और राजु पर एक मुस्कान देकर चय के घुंट का सुबह का पहला आंनद लेने लगे यही हाल भावी का था उनसे रहा नहीं गया तो उसने राजु को आवाज दी तो राजु भावी के पास पहुंच गया और बोला हां भावी जी कहिए अरे राजु आज तुम सोया की नही राजु हां भावी जी क्यों आप ऐसा क्यों पुछ रही है तों भावी जी नहीं नही कुछ नहीं पर वो तीनो क्या कर रहा हैं। राजु वो सब चय पी रहा है उसके बाद ही कोई काम करेगा न राजु।राजु तुम उन सबको हमेशा बचाते रहते हो जाने दिजिए सुबह सुबह भगवान का ध्यान किजिए मैं सारा काम खुद कर लुंगा पर भावी हमारे मन में एक ख्याल आया हैं कि भैया जी बोले थे आज मार्केटिंग करेंगे । भावी हां तों तुम्हारा ख्याल क्या है राजु । भावी जी मेरा ख्याल ये हैं कि यहां पर यानी अपने मार्केट में मार्केटिंग नहीं करके हम जहां घुमने जा रहें हैं वहीं पर कर लेते इस बहाने वहां के मार्केट में हमें बहुत कुछ देखने और खरिदने कि चीज मिल जाता यहां भी खर्चा वहां भी हमें ये उचित नहीं लगता ये हमारी मत हैं भावी बोली मत मतलब विचार भावी बाकी आप जैसे उचित समझें वहीं ठीक होगा मैं नौकर हूं शायद ऐसा नहीं कहना और सोचना चाहिए हमको,भावी नहीं नही राजु ऐसा कुछ नहीं हैं तुम जो कहा वही उचित है अब हम मार्केटिंग हिमाचल प्रदेश में ही करेंगे। राजु को भी पता नहीं चल रहा था कि भैया भावी उसका बात मान क्यों लेता है खैर राजु इन बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था। सब अपने अपने काम को करते हुए दिन बिताया और अब सुबह के दस बज चुके हैं और सब कुछ तैयार है भैया उन तीनों लड़कों को उचित रुपया देकर कहा तुम तीनों को जो सही लगें वो करो पर एक सप्ताह के बाद यहां सब आ जाना सब ने हां में हां मिला कर भैया से रुपया लिया और भैया के समान को बस के पास तक पहुंचाया और दिखावटी प्रणाम करके वहां से तीनों चल दिया।राजु समेत भैया भावी बस के भीतर जाके अपने सिट पर बैठ गए और बस चलने का इंतजार करने लगे, तभी भैया राजु को पुछ बैठा राजु बेटा मोबाइल फोन में क्या क्या सिखा।राजु भैया जी मैं मोबाइल फोन में वाटशप युटुब, फेसबुक और कुछ कुछ पर भैया जी हमें फेसबुक पर दोस्ती करना नही आता अरे आजा अभी तुझे मैं सिखाता हूं अपने पत्नी से बोले तुम राजु के सिट पर जाओ और राजु को तुम अपने सिट पर आने दो और भावी जी सहज मान गई और राजु को दोनों जन अपने बीच में लिया और दोनों मिलके राजु को फेसबुक पर दोस्ती करना सिखाने लगे और कुछ ही देर में वो सिखा दिए भैया भावी अपना अपना प्रोफाइल खोलके पहले खुद ही राजु के फेसबुक दोस्त बन गए भैया भावी राजु से ऐसा व्यवहार कर रहे थे कि किसी को ये पता नहीं चल रहा था कि राजु नौकर हैं सब यही समझ रहे थे कि राजु इन दोनों कि इकलौता बेटा हैं और बस के ड्राइवर ने दो बार हाॅरन दिया जिसे सुनकर पिछे हुए यात्री हरबराते हुए बस में चढ़े।और बस धीरे धीरे अपना चाल शुरू कर दिया। अंतिम यात्री के चढ़ते ही कन्डेक्टर ने बस का दरवाजा बंद किया और ड्राइवर बस के पो पो का हाॅरण देकर बस को आगे बढ़ाने लगा और बस,बस डिपो से निकल कर अब मेन रोड पर आ गया और ड्राइवर ने एक बार फिर से हाॅरण देकर गेयर बदला और एक्सलेटर दवाया की बस सायं साय की आवाज़ देते हवा से साथ मिलाते अपने रफ्तार से आगे बढ़ने लगा बस के अंदर सुहाने पल के मधुर गीत ड्राइवर ने बजा दिया जिससे सभी यात्री झुमने लगें इस पल के दौरान कितने यात्री पर निंद सवार हो गए और वो अपने सर और शरीर को हिलते हुए भी सो गए और कुछ बस में चल रहे गानों के साथ गुनगुना रहे थे टिकिट सबका बुकिंग से मिला हुआ था तो कन्डेक्टर को टिकिट काटने कि कोई जरुरत ही नही था वो भी अपने सिट पर बैठा गाने का मजा ले रहा था। बस एक राज्य से दुसरे राज्य से तिसरे राज्य में प्रवेश करने से पहले जहां जहां अच्छा होटल या उस बस का ठहराव था वहां पर रुकता तों कोई फ्रेश होने के लिए और कोई नश्ता पानी के लिए निचे उतर कर और कोई अपने बदन की अकरन को खत्म करने के लिए बस से उतरकर उस जगह का मजा लेता और जैसे ही बस हाॅरन देता सब अपने सिट पर बैठ जाता फिर उस मौज के साथ बस आगे बढ़ने लगता और बढ़ते बढ़ते चार बजे शाम को हिमाचल प्रदेश के होटल…………..पर जाके ड्राइवर ने बस में ब्रेक लगाया तो सब समझ गए कि हमारी मंजिल आ गई सबने अपना समान उतारा जिसमें कन्डेक्टर ने सबका समान बारी से गिनाकर दिया और बस को अपने स्थान पर जाकर ड्राइवर लगा दिया भैया जी किसीको फोन किया और उधर से आवाज आया सर मैं यहां से आपके लिए मर्सिडीज गाड़ी भेज दिया हूं वो पहुंचने वाली होगी कि एक चमचमाती मर्सिडीज गाड़ी भैया के बाजु में खड़ी हो गई और ड्राइवर उतरकर भैया जी को नमस्कार किया भैया जी भी उनका हाल समाचार पुछा तो ड्राइवर ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि सर सब कुशल मंगल ठीक है। और फटाफट समान को गाड़ी के डिक्की में रखने लगा तो राजु भी उनका हाथ बंटाने लगा तो ड्राइवर ने कहा छोटे सर आप रहने दो चार बैग हैं मैं रख दुंगा राजु को ड्राइवर भैया भावी जी का बेटा ही समझ रहा है और हों भी क्यों न राजु का चेहरा एकदम भैया से मिलता था ऐसे में कोई भी राजु को भैया भावी जी का बेटा ही समझेगा और ड्राइवर गाड़ी के डिक्की में समान रखकर भैया से बोले कि चलिए सर भैया जी बोले जी ड्राइवर साहेब और बारी बारी से सब गाड़ी में बैठ गए भैया जी के संकेत मिलते ही ड्राइवर ने गाड़ी को आगे बढ़ाने लगा बस डिपो से बाहर निकल कर मेन रोड पर आया कि हिमाचल प्रदेश के शाम पांच बजे का नजारा देख भावी हृदय से हर्षित हो उठी और राजु से बोली देख राजु कितना प्यारा और सुंदर लग रहा है शहर राजु के मुंह से अचानक ही निकल गया कि हां मां शहर बहुत खूब सुंदर है।
मां शब्द सुनते ही भावी राजु को देखकर भावुक हो गईं और भैया जी जो आगे बैठे थे ड्राइवर के बगल वाले सिट पर उन्होंने भी पलट कर राजु को देखा और मुस्कुराते हुए बोले हां बेटा इसलिए तुम्हें और तुम्हारे मां को मैं हिमाचल प्रदेश घुमने लाया हूं अब राजु गुम हो गया कि हमारे मुंह से अचानक ये शब्द क्यों निकला और भैया भावी ऐसा तो नहीं कि हमें अपना बेटा समझने लगे हैं यदि ऐसा है तो मैं भी इन यशोदा और नंदबाबा कि कृष्णा बनके रहूंगा लेकिन वो कृष्णा भगवान थे जिसके लिए धरती पर जन्म लिये थे वो कर्म करने चले गए पर मैं अपने इन यशोदा और नंदबाबा को कभी नहीं छोड़ेंगे जब तक ये मुझे अपने बेटा के