फिल्म – प्यार तो प्यार हैं
फिल्म – प्यार तों प्यार हैं रील – 2 स्क्रिप्ट रौशन राय का – 9515651283 / 8591855531
और चाय बनाकर पांच से दस मिनट में भैया भावी के पास पहुंच गया और बोला कि आप दोनों जब तक चाय पिएंगे तब तक मैं गाड़ी धो दुंगा।
भैया अरे राजु गाड़ी थोड़ा ठीक से धोना ।
राजु भागते हुए अच्छा ठीक है भैया जी और हाथ में बाल्टी और फरका लेके गाड़ी पास पहुंच गया।
और कुछ ही समय में वो भैया के पास पहुंच कर बोला कि भैया जी गाड़ी साफ हो गया है।
भैया क्या बात करता है राजु।
भावी राजु गाड़ी ठीक से धोया की नही ।
राजु ये बात तो भैया जी ही बताएंगे कि मैं गाड़ी ठीक से धोया कि नही।
भैया फिर भी राजु ठीक से धोया कि नही।
राजु भैया और भावी जी मैं गाड़ी को बहुत बढ़िया से धोया हैं कितना कचरा था शीट के नीचे।
तब तक भैया भावी चाय खत्म किए और भावी भैया को एक प्यार भरा चुम्मा लिया और भैया भावी को बाय कहके
आॅफिस के लिए चल दिए, तभी भावी ने आवाज लगाई कि
अरे राजु भैया जी का टिफिन लेके जा यह पर रह गया की राजु वहीं से आवाज दिया जी भावी जी मैं आके ले जाता हूं
भैया अरे हां राजु मैं तों टिफिन भुल गया राजु लेके आजा।
राजु,जी भैया कहके दुवारा टिफिन लेके गाड़ी के पास आ पहुंचा। तब तक भैया गाड़ी में बैठ चुके थे और उन्होंने महसूस किया कि आज गाड़ी बहुत हल्का सा लग रहा है और नजरें दौड़ा के गाड़ी को देखा तो यकिनन उन्हें गाड़ी साफ लगा।
इसी बीच राजु पुछ बैठा कि बताइए भैया जी गाड़ी ठीक से साफ हुआ कि नही। राजु के सवाल का जवाब देते हुए भैया ने कहा हां राजु गाड़ी तुम ने बहुत अच्छा से साफ किया। राजु हूं देखें भैया जी हम ने सच ही कहा आपसे। हां राजु तुमने सच और अच्छा काम किया हैं तों तुम्हारा ईनाम होना चाहिए। राजु विनम्रतापूर्वक बोला भैया जी आपका विश्वास और प्यार ही मेरा ईनाम हैं। ठीक है राजु अब तुम जाओ मैं भी आॅफिस जा रहा हूं। राजु वाय भैया कहके वापस घर आ गया उधर भैया आॅफिस चलें गए।
(जिस दिन से राजु भैया भावी के पास नौकरी पर आया उस दिन से भैया और भावी के राजु मन लगाकर सेवा करने लगा और भैया भावी के घर को अपना घर समझ कर काम करने लगा चार नौकर में से सबसे बाद में आया राजु और भैया भावी के मन को कुछ ही समय में जित लिया और सबसे प्यारा बन गया क्योंकि भैया भावी को अपना औलाद नहीं था इसलिए न चाहते हुए भी उन्होंने चार नौकर रखा था जिसमें सबसे प्यारा राजु था जिससे वो तीनों नौकर राजु से जलने और नफरत करने लगा और बात बात में ताना मारने लगा और कहता ये हैं वफादार कुता एक ग़ुलाम ना जाने क्या क्या राजु से कहता और राजु किसीको कुछ नहीं कहता और ना ही भैया भावी जी से कभी कोई शिकायत करता इन लोगो का )
सब लोग अपने अपने काम में लगे हुए थे और अब शाम की बारी आई सात बज गया और अभी तक भैया जी नहीं आएं कि भावी जी ने आवाज लगाई राजु समय कितना हुआ अभी तक भैया जी नहीं आएं। राजु घड़ी पर नजर डाला और भावी के पास आकर बोला भावी सात तों बज गया पर भैया जी आयें नहीं पर वो आते ही होंगे कि गाड़ी कि हाॅरन बजी और भैया ने भावी जी के मोबाइल पर फोन किया कि राजु को निचे भेज दो भावी ने तुरंत राजु को भैया के पास भेजा।
और राजु तुरंत भैया जी के पास पहुंच कर नमस्कार किया और अपने सग्गे बेटे कि तरह प्रश्न पुछने लगा और भैया राजु के हर प्रश्न का सही सही उत्तर दे रहे थे जैसे बेटा पुछ रहा हो और बाप जवाब दें रहा हों और दोनों जन आपस में बातें करते भैया राजु के हाथ में कुछ समान का झोला दिया जिसमें एक मोबाइल फोन का था।जिसे देखते राजु बोला भैया नया मोबाइल लिए है तो भैया बोले हां किसी को देना है और दोनों जन बातें करते लिफ्ट से अपने घर पहुंचे तभी भावी दुसरे कमरे में थी राजु समान रखकर।अपने काम में लग गया तभी भावी आई और भैया जी को देखकर मुस्कुराई और बोली आज आप कहां रह गए और ये मोबाइल फोन किसके लिए लाएं उस समय राजु नहीं था उस जगह,फिर भैया बोले कुछ समान और ये मोबाइल फोन लेने बाजार गया था जहां पर भीड़ बहुत था इसके कारण आज देर हो गया। भावी ये फोन किसके लिए लाएं,भैया जी के मुंह से अचानक ही निकल गया राजु बेटे के लिए,बेटा शब्द सुनके भावी आत्म विभोर हो गई और उनके आंखों से आंसू के मोती छलक आए,तो भैया बोले ये गलत बात है हमारे पास एक नहीं चार बेटे हैं ये सुनते ही भावी बोली चार नहीं सिर्फ एक वो भी सिर्फ राजु, भावी बोली ये मोबाइल क्यों लाये अपने पास तों दो दो मोबाइल हैं ही फिर भैया राजु का नाम लिया और सुबह गाड़ी साफ कि सारी बात बता दिये तो भावी बोली ये मन तो मेरा भी था पर मैं आपसे कह न सकी, तों भैया जी बोले श्री मति जी मैं ने जो आपके मन का काम कर दिया उसके बदले में आप सिर्फ मुस्कुरा दिजिए और राजु को बुलाइए(जिस दिन से राजु आया उसी दिन से भैया और भावी जी को उस राजु में अपना पन झलक रहा था और एक बार तो भैया और भावी भी आश्चर्य चकित हो गया कि राजु का चेहरा भैया जी से हुं बहू मिलता था एक बार तो राजु भी आश्चर्य चकित हो गया कि हमारे पिता जी नहीं नही फिर राजु अपने आप को सम्भाला,और उसी दिन से सारे नौकरों का जैसे राज हो गया कोई कुछ करना ही नही चाहता जिससे सारे भैया भावी के नजरों से गीड़ गया और राजु मन में बैठ गया क्योंकि राजु भैया और भावी को रात के समय सोने के वक्त उनके पैर दवाता था सुबह पांच बजे जबरदस्ती उठा कर वाक के लिए भेजना यानी कि अपने मां बाप कि तरह राजु भैया भावी का ध्यान रखता था जिससे भैया भावी राजु से अब आत्मा से भी खुश रहते थे) तभी भावी ने राजु को आवाज दी और राजु भागते हुए भैया और भावी जी के पास पहुंच गया और बोला हां भावी जी बोलिए क्या काम है सब काम हो गया मात्र खाना का टेवल लगाना और वो तीनों क्या कर रहा है अपने बातों में दम डालते भावी ने राजु से पुछी,तो राजु बोला जानें दिजिए मैं कर लूंगा कौन सा जादा काम भैया बोले राजु मैं तुम्हें दिन भर देखता रहता हूं कि सारे काम तुम ही करते हो और तभी राजु बात काटते हुए बोला आज आप लोग मुझे यही कहने के लिए बुलाएं हैं तों मैं जा रहा हूं अपना बचा शेष काम करने के लिए और राजु वहां से चल दिया, तभी भैया बोले अरे काम के दिवाने मेरे राजु बेटा आ मेरे पास बैठ थोड़ा बात चीत कर। तभी राजु नहीं नही मेरे पास फिजुल बातें के लिए समय नहीं है, फिर भावी अच्छा ठीक है हम दोनो फिजुल की बातें नही करेंगे तुम मेरे पास आकर बैठ तो,राजु ठीक है राजु मुड़ा और अपना नौकर का औकात समझकर नीचे बैठ गया। पर भावी बोली मेरे पास आकर बैठो। राजु भैया के ओर देखने लगा तों भैया बोले हां बेटा, फिर राजु के खुशी का ठिकाना न रहा और वो भावुक हो गया लेकिन वो अपने आप को सम्भाला और बोला मैं यही ठीक हूं बताइए आप क्यों बुलाएं हमको,भावी बोली कुछ काम है,राजु बोला वो और भैया मोबाइल फोन निकाला और भावी को दी और भावी अपने हाथ से राजु के ओर बढ़ाते हुए बोली कि ये मोबाइल फोन भैया जी तुम्हारे लिए लायें हैं। राजु विनम्रतापूर्वक कहा कि भावी जी मुझे अभी मोबाइल नहीं चाहिए क्योंकि हमारे घर पर पैसे की बहुत जरूरत है मेरी मां बहुत तकलीफ सह के मुझे पाला है और जब मैं काम करने के लायक भी नही हुआ था तभी से मुझे मेरी मां की तकलीफें दिखने लगा और मैं जिद करके काम करने मुम्बई आ गया सो भैया जी और भावी जी आप मुझे माफ किजिए मैं मोबाइल लेके अपने मां को तकलीफ में नहीं रख सकता। भैया भावी एक दुसरे के ओर देखने लगा और सोचने लगा कि भगवान ऐसा बेटा सबको दें अब तो भैया और भावी और भी राजु पर मोहित हो गए और आश्चर्य से राजु के ओर देखते हुए भावी राजु सच में अपने मां से प्यार करता है ये सोचकर और उनका परिक्षा लेने लगी और बोली क्या राजु छोड़ उस बुढ़ी मां को तुम रुपया काम रहा है और सुख वो बुढ़िया करें अरे आज कल कौन अपने मां बाप को देखता है इन फिजुल बातें को छोड़ और कमा कर ऐस कर यानी भावी को जो मन में आया राजु को भड़काने के लिए वो बोलती रही और भैया भावी के बातों में हां में हां मिलाते गयें। और राजु बोला भैया जी और भावी जी मेरे मां के बाद यदि किसीने प्यार दिया होगा तो वो है आप दोनों और हम भी कभी आप को अपने मां बाप से कम नहीं मानते भले ही आप को हम भैया भावी कहते हैं भगवान का भी रचना देखिए घर के अंदर और बाहर लोंग मुझे आप दोनों का बेटा ही समझता और आप दोनों के मन में हमारे विधवा मां के लिए इतना जहर है यदि आप हमें हमारे मां के बारे में कुछ अच्छा सिखाती तों मैं उस भगवान को भुलाकर आप दोनों को ही भगवान समझ बैठता पर अफसोस इस बात का हैं कि गरिब को कोई इंसान नहीं समझता और हम जैसों का खैर छोड़िए मुझे लगता है कि आज से मुझे इस घर का दाना पानी उठ गया। भैया जी बोले क्या मतलब इस बात का राजु तो राजु बोला कि भैया जी मैं आपके यहां अब काम नहीं करुंगा तो भावी बोली क्यों तो फिर राजु बोला मैं आपके यहां काम करता हूं अपने मां को खुश रखने के लिए लेकिन जब मेरे असहाय विधवा मां के लिए ये काम दुःख का कारण बनेगा तों मैं इस काम को छोड़ सकता हूं पर अपने मां को नहीं यानी कि भावी ने हर तरह से राजु को कहा कि तुम अपने मां को छोड़ दो यहां तक कि कई प्रकार का लोभ भी दिया पर राजु ने कहा भैया जी और भावी जी मुझे इस संसार में अभी एक ही धन चाहिए और वो है मेरी मां और उनके बाद जो होगा वह देखा जाएगा तभी भावी राजु के हाथ पकड़ कर बोली बेटा मैं तुम्हें सिर्फ चेक कर रही थी कि क्या तुम लोभ में आकर अपने मां को छोड़ते हो कि नही भावी के इस बात में भी भैया जी ने हां में हां मिलाया और कहा राजु बेटे ये मोबाइल फोन मैं तुम्हें अपने ओर से फ्री गिफ्ट दे रहा हूं तुम्हारे काम से खुश होकर तभी राजु भावी के ओर देखने लगा और भावी जी भी हां में सर हिलाई और बोली तुम जो सुबह में गाड़ी धोया न उसी का ये ईनाम हैं और भैया जी को कभी कोई काम पड़ा तो ये तुमसे फोन पर बात करके बता देगें राजु ये सब तों ठीक है पर हमारे मां के बारे में कभी कुछ मत कहिएगा। भैया नही नही राजु हम दोनों भी तुम्हारे मां का अब ख्याल रखेंगे वो ये मोबाइल फोन राजु फिर भावी के ओर देखने लगा तभी भावी राजु का हाथ पकड़ कर उसके हाथ में मोबाइल फोन दे दी और राजु हाथ में लेकर उसे देखा और बोला इसका सिम मैं कहां से लाऊंगा तो भैया जी बोले इसमें सिम कार्ड भी लगा है और इसका नंबर भी मेरे पास है और तभी भैया राजु के मोबाइल पर फोन किया कि फोन का रिंग टोन ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे बजने लगा जिसे सुनकर राजु बहुत खुश हो गया और भैया भावी भी मुस्कुरा दिए तभी राजु चौका अरे बाप घड़ी में साढ़े आठ बज गया और मैं आप को खाना नहीं दिया। और राजु वहीं पलंग पर फोन रखकर जाने लगा तो भैया जी बोले अब तुम इसे हर वक्त अपने पास रखोगे ये लेकर जाओ। राजु ठीक है कहके मोबाइल फोन लिया और वहां से भाग भैया और भावी जी को खाना देने के लिए के लिए टेवल साफ किया और फटाफट खाना टेवल पर लगा दिया और भैया भावी को आवाज दिया कि आप दोनों जन आ जाओ खाना खाने के लिए भैया भावी राजु के बात सुनकर उठें और हाथ मुंह धोकर खाना टेवल के पास पहुंच गए और कुर्सी पर बैठ गए फिर भैया बोले राजु बेटे तुम सब भी खाना खा लो सुबह जल्दी उठकर मुझे भी जगा देना कल आॅफिस जल्दी जाके जल्दी वापस आना है क्योंकि कल कुछ कपड़े की खरीदारी करना है और पड़सो से एक सप्ताह के लिए आॅफिस बंद हैं तभी भावी बोली तों कहीं घूमने चलिए,भैया जी बोले कहा,तो भावी जी बोली आपका मन जहां चलने का हो क्योंकि आप का चुना हुआ जगह मुझे बहुत अच्छा लगता हैं तो भैया जी बोले हिमाचल प्रदेश चलेंगे हम सब क्यों राजु साहेब भैया जी राजु को सम्बोधित करते हुए कहा । राजु कुछ बोलता उससे पहले ही भावी बोली बोल बोल राजु हां
राजु बोला भावी जी आप दोनों जन जाएंगे तो हम कैसे हां कहें। फिर भावी बोली यार तु हां कह दें न तो राजु बोला कि ठीक है भैया जी आप भावी जी को हिमाचल प्रदेश घुमने ले जाईए। तो भैया जी बोले ठीक है राजु बाबु आपके बात हम तभी मानेंगे जब आप हमारे साथ हिमाचल प्रदेश घुमने चलेंगे फिर भावी बोली बेटा राजु फटाफट हां बोल दें राजु हम कैसे जाएंगे गाड़ी का टिकिट भी