Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jan 2022 · 9 min read

फिल्म – कब तक चुप रहूंगी

पेज =09
फिल्म – कब तक चुप रहूंगी। स्क्रिप्ट – रौशन राय का
मोबाइल नंबर – 9515651283/7859042461
तारीक – 05 – 01 – 2022

राधा और विशाल दोनों शादी का फुल माला सारा सामान लेकर कोर्ट पहुंच कर वकील से शादी का सारा पेपर तैयार करवा कर दोनों जन साइन किया फिर

लेकिन साइन कराने से पहले वकील और पुलिस ने कई सवाल किए । दोनों को समझाने की कोशिश भी की पर दोनों वालिक था इसलिए वकील को दोनों का शादी करवाना पड़ा

वकील साहब बोले बाजू में मां दुर्गा की मन्दिर हैं विशाल जी आप मां के मंदिर जाकर मां को और वहां पर पुजारी से विवाह विधि अनुकूल राधा जी का मांग भर कर आइए

राधा और विशाल पहले ही पुजारी जी से बात कर कोर्ट गया है तब तक पुजारी जी सब तैयार करके रखा हुआ था।

राधा और विशाल दोनों मंदिर पहुंचे और पंडित जी को बोले मंत्र उच्चारण शुरू करें पंडित जी मंत्र उच्चारण करते गये और हर विवाह विधि को कराते गये कभी भी जय माला कभी सिंदुर दान तो कभी अग्नि के सात फेरे करवा कर विवाह सम्पन्न करायें
कन्या दान मंदिर के दुसरे पुजारी ने कर दिया पुरे विधी के साथ राधा और विशाल का मंदिर में शादी हुआ शादी में वराती वहां के गरीब और भिख मांगने वाला था।

पंडित जी को दान दक्षिणा देकर गरीबों को खाना खिलाने के बाद दोनों कोर्ट पहुंचे सभी अफसरों का मुंह मिठा कराया फिर वकील ने शादी का पेपर के साथ शुभकामनाएं दिया और दोनों होटल आ गए ।

विशाल ने कहा अब हम दोनों कहा चलेंगे तो राधा बोली पहले मैं अपने घर जाकर अपने पापा का आशीर्वाद लूंगी

विशाल बोले जैसे आपका का इक्क्षा

शादी का नाम सुनते ही होटल के भी वेटर राधा और विशाल से टिप्स लेने पहुंचे सभी वेटरों को टिप्स देकर एक को बोला

राधा – भाई हमारे गाड़ी को फुलों से सजा दो, वेटरों को पैसे दिए और वेटर चला गया कुछ देर में वो आकर बोला साहब गाड़ी को सजा दिया

विशाल बोला तुम गाड़ी के पास पहुंचों ‌‌

राधा और विशाल गाड़ी के पास पहुंचा और वेटर का तारीफ किया और फिर वेटर बचा हुआ पैसा देने लगा तो विशाल बोला वो तुम रख लो

वेटर ने धन्यवाद कहा

राधा और विशाल दोनों गाड़ी में बैठा और घर के लिए चल दिया।

गाड़ी राधा के घर के गेट के सामने रुका राधा ने अपने पापा को फोन किया और कहा

राधा – पापा ड्राइवर को भेज दिजिए गाड़ी पार्क करने के लिए।

डोंगरा साहब ड्राइवर को भेज दिया, जब ड्राइवर ने गाड़ी को फुलों से सजा देखा तो वो सोचने लगा कि आज गाड़ी सजा क्यों हैं

तब तक दोनों गाड़ी से बाहर निकला ये सीन देखकर उसका आंख चौधीयां गया

राधा बोली ड्राइवर साहब गाड़ी को पार्क करके आप अंदर आओ

ड्राइवर – जी

राधा और विशाल घर पहुंचे अपने पापा के पास

डोंगरा साहब देखें तो देखते ही रह गए और कुछ नहीं बोले
राधा और विशाल उनके कदमों में झुके आशिर्वाद लेने के लिए लेकिन डोंगरा साहब अपना पांव पिछे खिच लिए

और बड़े दुखी हो कर बोले कि तुमने अपने स्वार्थ के लिए हमारे खानदान के पुर्वजों का इज्जत निलाम करके आई और मैं तुम्हें आशीर्वाद दूंगा तो मैं भी अपने पुर्वजों को गाली दूंगा लेकिन मैं तुम्हें आशीर्वाद नहीं दूंगा । तु मेरी औलाद है इसलिए मैं तुम्हें श्राफ भी नहीं दूंगा ।

लेकिन इतना अवश्य कहूंगा कि भगवान यदि बेटी दें तो ऐसा कभी न दें चाहें वो बेऔलाद क्यों न रहे ।

मैं आज से पल-पल मरता रहूंगा कास तेरी मां के जगह मैं मर गया होता तो आज ये दिन देखने को नही मिलता

हर बाप का अरमान होता है कि वो अपने बेटी का कन्यादान करें लेकिन तु मेरा ये भी अधिकार छीन ली

मैं इस लड़के का दोष नहीं दूंगा क्योंकि अपना ही सिक्का खोटा है

विवाह करके लड़की अपने ससुराल जाती है पर तु यहां क्यों आई।

राधा – पापा आपका आशीर्वाद लेने

डोंगरा साहब – हमारे मुंह पर कलंक का काली पोतकर हमारे मन को छल्ली कर तु हमसे आशीर्वाद लेने आई या मुझे अपने चप्पल से मारने आई हों

ये कहकर डोंगरा साहब बच्चे की भांति फुटफुट कर रोने लगे

विशाल चुपचाप डोंगरा साहब का बात सुन रहा था

जाओ हमारे घर से यहां पर अब तुम्हारे लिए कोई जगह नही है।
और तब तक नही आना जब तक मैं मर ना जाऊं

राधा विशाल का मुंह देखने लगी कि अब क्या होगा।

विशाल राधा को क्या जवाब दें उनके समझ में नहीं आ रहा था। अब करें तो क्या करें।
घर तो था विशाल का पर उसका भी मां बाप उन्हें घर से निकाल दिया था और उनसे सारे नाते तोड़ लिया था जब वो सुने की विशाल का काम करने और रुपया कमाने का तरिक्का गलत है ये लड़कियां को फुसलाकर या भगाकर लाता है और उन्हें बेंच देता है। मिडियम क्लास के परिवार था विशाल के पापा का उसके पिता जी ने विशाल को बहुत समझाया जब वो नहीं समझा तो उनसे सारे नाते खत्म कर उन्हें घर से निकाल दिया ।

जब घर से निकाल दिया तब एक दिन गांव वाले ने विशाल को पकड़ और बहुत मारा पर उनके मां बाप ने समाज का साथ दिया और विशाल के पिता स्वयं पुलिस को फोन कर उन्हें गिरफ्तार करवाया था

और पुलिस को कहा था यह एक वदनूमा दाग है समाज के लिए आप इसे ऐसा सजा दिलवाना कि इन्हें फांसी हों अगर फांसी न हों तो कम से कम उम्रकैद कि सजा जरूर हो।

पुलिस उन्हें लें गया और कोर्ट ने उन्हें बीस साल की सजा सुनाई

दो साल जेल में रहने के बाद विशाल पुलिस वाले को चकमा देकर भाग निकला और अपना नाम रोहित से विशाल रख लिया परिवार से अलग और पुलिस से छुपकर रहने लगा जब रोहित/विशाल ने देखा कि वो कभी भी पकड़ा सकता है तब वो उस खंडहर में रहने लगा जहां पर कोई नहीं जाता आता और वही पर फिर से वो अपने पाप की कमाई के रास्ते पर चलने लगा।

आज रोहित/विशाल को राधा जैसी लड़की मिल गई जो बाप की इकलौती बेटी है। विवाह तो कर लिया पर वो अपने दुल्हन को लेकर जाएगा कहां।

राधा विशाल से बोली कि अब हम अपने ससुराल चलेंगे तुम्हारे साथ।

विशाल ने कहा कि मैं अपने दोस्त को फोन करता हूं और ये कहलवाता हूं अपने मां बाजू जी से की मैं कोर्ट मैरिज कर ली है और अपने दुल्हन को लेकर आ रहा हूं हमारे कमरे को सजा देना।

तब तक हम उसी होटल में चलते हैं

राधा विशाल डोंगरा साहब के घर से जब बाहर निकल रहा था तो डोंगरा साहब को लगा कि वो नहीं जाएगा पर वो दोनों घर से बाहर निकल गया

तो राधा कहती हैं कि हम उस होटल नहीं जाएंगे नहीं तो वो लोग क्या सोचेंगे कि हमारे शादी को हमारे मां बाप कबुल नहीं किया

विशाल को ये बात अच्छा लगा और बोला

विशाल – फिर कौन-सा होटल चलना है

राधा – ताजमहल होटल में उस होटल में भी सभी प्रकार के सुविधा है अगर कोई पुछेंगा तो कह देंगे हमारे शादी का सालगिरह हैं इसलिए हम यहां आये हैं

विशाल – ठीक है सरकार की हुक्म सर आंखों पर

इस बार राधा अपने पापा का गाड़ी नहीं ली

ड्राइवर बोला गाड़ी निकाल दूं

राधा – नहीं ड्राइवर साहब अब ये गाड़ी मेरा नहीं रहा अब ये गाड़ी सिर्फ पापा का है मैं पराई हो गई।

विशाल – राधा के साथ होटल में पहुंचा संयोग से उन्हें कमरे मिल गया।

राधा बोली कि आप अपने दोस्त से बात किजिए कि आपके मां बाबूजी क्या कहते हैं।

विशाल ने अपने दोस्त जुवेर को फोन लगाया फोन जुवेर ने रिसीव किया और और यार विशाल कहा है तु

विशाल मैं जहां पर भी हूं ठीक हूं एक। खुशखबरी देना था तुझे

जुवेर बोला तेरे बातों से ये जाहिर हो रहा है कि तुम बहुत खुश हैं पर बता कि वो खुशखबरी क्या है

विशाल – अरे जुवेर मैं शादी कर लिया

जुवेर – किस्से

विशाल – राधा जी से

जुवेर – उसी राधा से जिसका तु एक बदमाश से बचाया था

विशाल – हां जुवेर उसी से

जुवेर – मेरे यार हमारे ओर से तुम दोनों को कांग्रेचुलेशन
तुम दोनों कि जोड़ी अल्लाह ताला हमेशा बनाए रखें

विशाल – अरे यार तुम ये बात हमारे मां बाबूजी को बता दें न मुझे बताते डर लग रहा है ना जाने वो हमारे बारे में क्या सोचेंगे इसलिए मैं अपने यार जुवेर का सहारा लेना चाहता हूं

जुवेर – विशाल का संकेत समझ गया क्योंकि विशाल ने राधा के बारे में पहले ही जुवेर को बता रखा था।

जुवेर ठीक है यार मैं हूं न तु फ्रिक मत कर मैं चाचा चाची को युं चुटकी में मना लूंगा। मैं तुरंत उन्हें ये खुशखबरी देने जा रहा हूं और फिर तुम्हें फोन करता हूं और फोन काट दिया।

कुछ देर के बाद जुवेर का फोन आया और वो बोला भाई तेरे मां बाप तो तेरे इन शादी से बहुत नाराज हो गया और वो ना जाने क्या क्या कहने लगा। यार विशाल तु मेरा मान तो अभी तु अपने घर मत आ नहीं तो हमारे मां बाप उस फुल सी नाज़ुक लड़की यानी कि मेरे भाभी को बहुत भला बुरा सुनाएगा तु अभी किसी होटल में रहले जब गुस्सा ठंडा हो जाएगा तो वो लोग तुम्हें खुद ही बुला लेंगे आखिर तु भी तो अपने मां बाप का इकलौता बेटा है

विशाल – अरे यार जुवेर होटल में रहने से खर्चा बहुत होता है न

जुवेर – ये खर्चा मैं उठाऊंगा और अपने भाभी को अपने देवर के ओर से ये छोटा-सा गिफ्ट होगा तु भाभी को बता हमारे ओर से

विशाल – तुम्हारी भाभी सुन रही है क्योंकि स्पीकर आन हैं

जुवेर – यार तु पी पागल है हमें पहले क्यों नहीं बताया
अच्छा नमस्ते भाभी जी

राधा – नमस्ते भैया

जुवेर – कैसे हैं आप और हमारे तरफ से शादी मुबारक हो और जब आपने मेरा सारा बात सुन ही लिए है तो अपने देवर के ओर से ये नजराना कबुल किजिए और आपके दस दिन के होटल का खर्चा मुझे भरने दिजिए

राधा – भैया ये उचित तो नही होता है

जुवेर – भाभी आप ऐसे कहके हमें हमारे दोस्त से अलग कर रही है

राधा – नहीं नहीं भैया ये तो मैं सोच भी नहीं सकतीं

जुवेर – तो आप मेरा ये तोहफा कबुल किजिए

राधा – ठीक है जैसी आपकी इक्क्षा

जुवेर – धन्यवाद भाभी

राधा – वेलकम

जुवेर – यार विशाल तुम दोनों इस होटल में दस दिन रहेगा
और खुब इन्जुवाय करेगा चल अब फोन रखता हूं

इधर डोंगरा साहब का तबियत उसी दिन से खड़ाब होना शुरू हो गया था जिस दिन से राधा चली आई थी आज नमा दिन शुरू हो गया था नाश्ता के लिए विशाल और राधा टेवल पर बैठा कि राधा के फोन पर उनके पापा मोबाइल से फोन आया

राधा चौक गई और फोन रिसीव कि उधर से आवाज आया हल्लो राधा जी मैं ड्राईवर बोल रहा हूं

राधा – लेकिन ये नंबर तो पापा का है

ड्राइवर – हां राधा जी साहब का तबियत बहुत खड़ाब हैं उसी दिन से जिस दिन से आप गई

राधा – क्या हुआ और अभी कैसे हैं

ड्राइवर – मुझे दुखी शब्दों में ये कहना पर रहा है कि शायद वो अब नहीं बचेंगे

राधा तों फोन पर ही जोर जोर से रोने लगी

ड्राइवर बोला साहब ये कह रहें थे कि देखा उसे एक बार कहा जाने के लिए और मेरी बेटी मुझे छोड़ कर चली गई वो ये भी नही सोची की मैं उसके बीना कैसा रहूंगा मेरे दवाई का ध्यान कौन रखेगा खैर कोई बात नही मेरा प्राण मेरे बेटी के खातिर निकल जाएगा।
शायद अब वो नहीं आएगी मुझे देखने के लिए और मैं उसे देखें ही मर जाऊंगा।

राधा तो रोने लगी और उन्हें ये होने कि मुझे पंख लग जाएं तो मैं अपने पापा के पास एक पल में पहुंच जाऊं

विशाल नाश्ता छोड़ पुछने लगा कि क्या बात है तुम रो क्यों रही हो।

राधा – पापा बहुत बिमार हैं वो कुछ पल के ही मेहमान है आप बीना देरी किए ही यहां से निकल चलों

तों विशाल ने कहा ठीक है तुम चलों मैं तुम्हारे पिछे ही आ रहें हैं

राधा नहीं आप भी साथ चलों दोनों अब नाश्ता छोड़ होटल काॅन्टर पर गया और पुछा तो कहां सर पेमेंट हों गया है

राधा विशाल का हाथ पकड़ी और उसे खिंचते हुए होटल से बाहर निकल कर टेक्सी को हाथ दी और अपने घर और एड़ियां को बोली चलों

टेक्सी वाला को वो एड़ियां देखा हुआ था राधा बोली भैया तुम जितना फास्ट गाड़ी चला सकते हो तुम चलाओ बहुत ही इमरजेंसी हैं

टेक्सी वाला भी चार नंबर गेयर लगाया और तुफान से उड़ते हुए वो राधा के घर पर पहुंचा दिया राधा विशाल को छोड़कर सिधा अपने पापा के पास पहुंची और बोली

पापा मैं राधा क्या हुआ आपको

डोंगरा साहब के जैसे फिर से जान मिल गया था

उधर विशाल टेक्सी वाला को भाड़ा देकर वही पर खड़ा हो गया

Language: Hindi
848 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अपने कदमों को
अपने कदमों को
SHAMA PARVEEN
यात्रा ब्लॉग
यात्रा ब्लॉग
Mukesh Kumar Rishi Verma
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से
Vedha Singh
तुम भी तो आजकल हमको चाहते हो
तुम भी तो आजकल हमको चाहते हो
Madhuyanka Raj
हम छि मिथिला के बासी
हम छि मिथिला के बासी
Ram Babu Mandal
इश्क जितना गहरा है, उसका रंग उतना ही फीका है
इश्क जितना गहरा है, उसका रंग उतना ही फीका है
पूर्वार्थ
चीर हरण
चीर हरण
Dr.Pratibha Prakash
दिन रात जैसे जैसे बदलेंगे
दिन रात जैसे जैसे बदलेंगे
PRADYUMNA AROTHIYA
"समझदार लोग किसी की ईंट के बदले पत्थर नहीं फेंकते। ईंटों को
*प्रणय*
उल्फत के हर वर्क पर,
उल्फत के हर वर्क पर,
sushil sarna
जीवन में...
जीवन में...
ओंकार मिश्र
फिर फिर मुड़ कर
फिर फिर मुड़ कर
Chitra Bisht
कारगिल विजयदिवस मना रहे हैं
कारगिल विजयदिवस मना रहे हैं
Sonam Puneet Dubey
क्षणभंगुर
क्षणभंगुर
Vivek Pandey
फिर भी यह मेरी यह दुहा है
फिर भी यह मेरी यह दुहा है
gurudeenverma198
मान हो
मान हो
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
*योग दिवस है विश्व में, इक्किस जून महान (पॉंच दोहे)*
*योग दिवस है विश्व में, इक्किस जून महान (पॉंच दोहे)*
Ravi Prakash
मेरे पिता जी
मेरे पिता जी
Surya Barman
4743.*पूर्णिका*
4743.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"वेदना"
Dr. Kishan tandon kranti
लक्ष्य
लक्ष्य
Shashi Mahajan
जिंदगी में रंग भरना आ गया
जिंदगी में रंग भरना आ गया
Surinder blackpen
हत्या
हत्या
Kshma Urmila
जै जै जै गण पति गण नायक शुभ कर्मों के देव विनायक जै जै जै गण
जै जै जै गण पति गण नायक शुभ कर्मों के देव विनायक जै जै जै गण
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
.... कुछ....
.... कुछ....
Naushaba Suriya
"भाभी की चूड़ियाँ"
Ekta chitrangini
उम्मीद
उम्मीद
Dr fauzia Naseem shad
एक तरफ धन की बर्बादी ,
एक तरफ धन की बर्बादी ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
*नर से कम नहीं है नारी*
*नर से कम नहीं है नारी*
Dushyant Kumar
सलाह के सौ शब्दों से
सलाह के सौ शब्दों से
Ranjeet kumar patre
Loading...