फिल्म – कब तक चुप रहूंगी
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फिल्म – कब तक चुप रहूंगी। स्क्रिप्ट – रौशन राय का
मोबाइल नंबर – 7859042461 / 9515651283
तारीक – 21 – 12 – 2021
तब तक राधा का घर आ गया
राधा का घर देखकर विशाल तो चौंक गया करोड़ों की सिर्फ घर तो अंदर के खजाने में कितना माल भरा होगा
विशाल सोच लिया की इस राधा को को किसी तरह अपने प्यार के जाल में फंसाकर इनसे शादी करना होगा उसके बाद सारा दौलत मेरा
विशाल फटाफट गाड़ी से उतर कर राधा के बगल आकर दरवाज़ा खोला और फिर से राधा को बाहों में भर लिया और बांहों में भर कर उसके घर को चल दिया इस बार भी राधा कोई प्रतिक्रिया नहीं की
विशाल के बाहों का सहारा लिए राधा के पापा देख लिया
की वो घबरा गये क्या हुआ क्या हुआ मेरी गुड़िया तुझे क्या हुआ मेरी बेटी
राधा कुछ बोलती उससे पहले विशाल बोला अंकल जब राधा काॅलेज से घर लौट रही थी तो इनके सर में चक्कर आ गया और ये अपने समझ से काम ली कार को साईड में खड़ी कर चक्कर आराम होंने के लिए रुक गई
तो मैं वहीं पर बैठा सब देख रहा था जब इनका सर चक्कर शांत नहीं हुआ तो मैं इनके पास आकर पुछा तो कहने लगी की आप हमें घर छोड़ दिजिए हमसे गाड़ी नहीं चलेगा
सो हम इंसानीयत नाते इनको ले आएं अगर कोई गलती हुआ हों तो हम आपसे माफी मांगते हैं । ये सब विशाल राधा को आंख मारते हुए बोला
राधा को विशाल का आंख मारना बहुत अच्छा लगा और विशाल का मुस्कान जैसे राधा के दिल में उतर गया
डोंगरा साहब – नहीं नहीं बेटा ये कैसे बात करते हो हम तों वो इंसान हैं की जिसने हम पर एक बार एहसान किया तों हम उसके एहसान के नीचे दब जातें हैं और तुम ने तो हमारे जीवन बचाए हों तो बुरा मानने की तो कोई बात ही नहीं है
विशाल – राधा जी अब कैसा फील हो रहा है
राधा – अब थोड़ा ठीक लग रहा है।
डोंगरा साहब – जाओ बेटा राधा को उनके कमरे में पहुंचा दो और हमसे आकर मिलों
विशाल – जी अच्छा। और राधा को बाहों में भरें उनके कमरे तक ले गया
जब विशाल ने राधा के कमरे का सजावट देखा तो उसे लगा जैसे स्वर्ग में पहुंच गया हो
राधा को उनके वेड पर बैठाया और खुद खड़ा रहा
राधा – आप भी थोड़ा देर बैठीए
विशाल – नहीं मुझे जाने दिजिए और किसी अंजान को ज्यादा देर तक घर में नहीं रहने देना चाहिए
राधा – आप तो अब अंजान रहें नहीं और रही चोरी की तो वो हो गई
विशाल – क्या मतलब
राधा – मतलब तो हम बाद में बता देंगे
विशाल – इसका मतलब ये हुआ की हमें यहां दुवारा आना पड़ेगा
राधा – आंख दवाते हुई हां में सर हिलाई
विशाल – अब मेरा यहां दुवारा आने से क्या काम आज के बाद न आप हमको मिलोगी और ना हम आपको
राधा – क्यों
विशाल – राधा जी क्यों तो साफ है की हम एक मामूली आदमी और आप इतने बड़े तों साफ जाहिर है की हमारा आपका दोस्ती भी नहीं हो सकता है तो आना जाना कहा से होगा
राधा – ऐसी वैसी बातें क्यों कर रहे हैं आप
विशाल – राधा जी ये बात ऐसी वैसी नहीं है आदमी को हकीकत से आंख नहीं चुड़ाना चाहिए
तब तक राधा के पापा भी राधा के कमरे में पहुंच गए और चेयर लेने लगे की विशाल तुरंत आगे बढ़ कर उनको चेयर दिया और खुद खड़ा हो गया
डोंगरा साहब बैठते हुए बोले बेटा तुम भी चेयर लेके बैठो
विशाल – बैठने लगा की उनके मोबाइल पर फोन आया तो विशाल ने देखा की फोन उसका था जो लड़की तस्करी में उनका साथ दे रहा था क्योंकि उस खंडहर में दस लड़कियों को बंदी बनाकर हाथ पैर बांध कर मुंह पर टेप चिपका कर लोहे की कड़ी में सभी को बांध रखा था विशाल और उसका साथ उस खंडहर को इसलिए चुना था की वहां पर दिन में पुलिस नहीं आती तो आम पब्लिक क्यों आएगा । जब कोई नहीं आएगा तब ये लोग वहां लड़कीयों को सुरक्षित रख सकता है
विशाल के साथी का जैसे ही फोन आया की विशाल बोला अंकल जी अब मैं जा रहा हूं अब यहां एक पल नहीं रुक सकता हमारे मां का फोन है
डोंगरा साहब – अरे बेटा तुम ऐसे जा रहें हों कम से कम चय पीकर जाते
विशाल – कोई बात नहीं अंकल मैं चलता हूं
डोंगरा साहब – ठीक है अगर तुम बुरा न मानो तो अपना सेल फोन नंबर देकर जाओ
विशाल – ठीक है नंबर लिजिए
डोंगरा साहब – बेटी राधा तुम अपने मोबाइल में एड कर लो और मुझे तुम दें देना
राधा – ठीक है पापा
विशाल नंबर दिया और ये कहते गया की यदि हमारा कभी भी जरूरत पड़े तो आप दोनों में से कोई भी हमें काॅल कर लेना मैं तुरंत आ जाऊंगा
विशाल ने अपने झुठी शराफत से जैसे दोनों बाप बेटी पर जादू तो कर दिया की वो दोनों बाप बेटी विशाल को अपने घर दुवारा अवश्य ही बुलाएगा
विशाल बाय अंकल कहके सिधा निकल गया और अपने तस्करी पार्टनर को फोन लगाया
विशाल – हल्लों जुवेर क्या हुआ
जुवेर- अरे भाई एक लड़की बहुत परेशान करती हैं
विशाल – कौन है और क्या नाम है उस साली का अच्छा ऐसा कर की उसको निंद की सुई लगा दें वो कुछ पल में ही सो जाएंगी
जुवेर – ठीक है विशाल मैं ऐसा ही करता हूं
विशाल – अच्छा थोड़ा देर सम्भाल मैं आया, पुलिस से बच के ही आना पड़ेगा इधर पुलिस वाला तैनात है
जुवेर – ठीक है मैं इसको सम्भाल रहा हूं लेकिन तु पुलिस से बच कर जल्दी आने की कोशिश कर
विशाल – ठीक है चल फोन रख।
उधर कृष्णा भी राधा को भुलाने की कोशिश कर रहा है पर बेचारे ने सचे मन से राधा से प्यार किया था तो इतना जल्दी कैसे भुल पाता और गरीब होने के कारण काम तो करना ही पड़ेगा सर का चोट अब लगभग ठीक हो गया है पर दिल पर पड़े चोट का दर्द कैसे ठीक होगा कृष्णा का पहले भी सबसे सच्चा दोस्त बांसुरी था और आज भी और सारे लोग तो कभी कृष्णा को मजनू कहता तो कभी दिवाना, पर कृष्णा किसीको कुछ भी जवाब नहीं देता सिर्फ अपने आपसे और अपने काम से मतलब रखता।
कृष्णा के मां को सारे बात मालूम हो गया और कृष्णा के गुमसुम रहने पर वो पल पल मरती और कृष्णा को समझाने की बहुत कोशिश कर रही थी
कृष्णा भी मां के बातों में हां में हां भर कर इधर उधर निकल जाता
मां कहती है देख बेटा तु उस अंजान लड़की से मोहब्बत कर खुद को तकलीफ़ में रखता है ये कहा की अक्लमंदी हैं और वो भी इतने बड़े बाप की इकलौती बेटी दस दिन में तु उससे कुछ कह नहीं पाया न कोई नंबर और न पता तो कोई, जो मुमकिन नहीं है उसे तु मुमकिन करने की कोशिश कर रहा है ये तो सरासर ग़लत हैं
कृष्णा – अपने मां को समझाते हुए कहा देख मां जब उसे मैं पहले ही बार देखा तो वो मुझे अंजान नहीं लगी और जब की उसे मैं दस दिन तों अब मिल चुका हूं । रही बात उसके पता और शहर का तो हम उसे ढुंढ निकालेगें या फिर वो खुद हमसे मिलने आएगी
मां – भगवान करें तु जैसा कहता है वैसा ही हो
कृष्णा – हां मैं जरुर होगा मुझे अपने कन्हैया पर अटल विश्वास है
मां – तब तक तो तु सही रहले क्योंकि हमें पड़ोस वाले ताना न मारें की मेरा बेटा पागल जैसे करता है और किसी अजनबी लड़की के खातिर तु छुप छुप कर रोता है
कृष्णा – देख मां तु लोगों के बातों पर मत जा
मां – क्यों न जाऊं बेटा ये हमारे समाज हैं हमें अपने समाज के साथ सुख दुःख खुसी गम बांटना चाहिए
यदि कोई मुझे से तुम्हारे बारे में कुछ कहता है तो उसमें कुछ सच्चाई तो होंगी यदि नहीं तो तु सच बोल की तु उदास क्यों रहता है । कहा गया मेरा वो कृष्णा जिसका हमेशा लोग तारिफ करते थकते नहीं थे।
मां बोलती रही और कृष्णा अपना बांसुरी लिया और निकल गया
मां – कृष्णा कृष्णा करती रही
अब पुरे दिन राधा राॅकी वाला बात को भुलकर विशाल ने जो उन्हें अपने बाहों में लिया था उस बात को याद कर आईना के सामने खड़ी होकर मुस्कुराती और अपने आप से बातें करती और इसी यादों में राधा पुरा दिन का काट ली रातों को भी वो विशाल के छुवन को महसूस कर रोमांचित हो उठी ऐसे लग रहा था। जैसे राधा को सचमुच विशाल ने प्यार हो गया था। और विशाल को काॅल लगा दी । विशाल के मोबाइल का रींग टोन बजा और विशाल ने फोन रिसीव किया
विशाल – हेल्लो
राधा – चुप रही
विशाल – हेल्लो
राधा – फिर चुप रही
विशाल – यदि आप रिप्लाई नहीं दिये तों हम फोन काट देंगे
राधा – हेलो आप विशाल जी हैं क्या
विशाल – हां मैं विशाल बोल रहा हूं लेकिन आप कौन हैं
राधा – राधा फिर चुप हो गई
विशाल – प्लीज आप मुझे तंग न करें आपको हमसे ही काम है या कोई दूसरा विशाल होगा आपसे ये मेरा नंबर गलती से डायल हो गया है या तो आप अपना परिचय दे या फिर फोन काटें नहीं तो मैं फोन काट रहा हूं
राधा – नहीं नहीं फोन मत काटना क्या आप सचमुच में विशाल है
विशाल – हां भाई मैं सचमुच में विशाल हूं पर आप कौन हैं
राधा – आज आज किसी को अपना सेल नंबर देकर आये थे।
विशाल – मैं अपना सेल नंबर किसी को नहीं देता
राधा – यदि आप अपने याददाश्त पर जोड़ डालेंगे तो आपको जरूर याद आ जाएगा की किसी को आपने आज ही नंबर दिया था
विशाल – मैं ने कहा न की मैं अपना सेल नंबर किसी को नहीं देता।
राधा – हां आज आपने किसी को आज बचा कर उसके घर तक अपने बाहों में भर कर उसके घर तक पहुंचाया था
विशाल – हां याद आया वो राधा नाम की लड़की थी जिसको मैं ने बलात्कार होने से बचाया और उसके घर तक पहुंचाया।
राधा – मैं वहीं राधा हूं
विशाल – वो राधा तो कहिए राधा जी अभी आप कैसे हैं
राधा – मैं ठीक भी हूं और नहीं भी
विशाल – क्या हुआ आपको को
राधा – वो तो मैं आपको नहीं बता सकती पर कल आप काॅलेज पर आ रहें हैं न
विशाल – हां हां उस लड़के को सजा तो मैं अवश्य दिलवाऊंगा कहिए राधा जी मैं वहां कितने बजे पहुंच जाऊं
राधा – दस बजे
राधा – ठीक है कहके फोन काट दी पर राधा को फोन रखने का दिल नहीं कर रहा था
राधा को विशाल से बेहद प्यार हो गया था पहली मुलाकात में राधा को बड़ी मुश्किल से निंद आया था सुबह उठी फ्रेश हो कर चय पीने बैठी थी फिर फोन लगा दी
अब की बार विशाल राधा का नंबर पहचान लिया और उठाते ही बोला गुड मॉर्निंग राधा जी।
राधा – गुड मॉर्निंग विशाल जी आप काॅलेज पर आ रहें हैं न
विशाल – हां राधा जी मैं जरुर आऊंगा आप नहीं भी कहेंगे तो भी आऊंगा नहीं तो ऐसे लड़कों को सजा मिलना ही चाहिए नहीं तो ये समाज के लिए खतरा साबित हो सकता है।
राधा – ठीक है मैं आपका इंतजार करुंगी
विशाल – जी और फोन कट गया
राधा – तैयार हुई और काॅलेज के लिए निकल पड़ी । काॅलेज पहुंच कर वो बेसब्री से विशाल का इंतजार करने लगी
काॅलेज का क्लास शुरू भी नहीं हुआ की विशाल काॅलेज पहुंच गया राधा का इंतजार खत्म हुआ।
विशाल प्रिंसिपल साहब के मैसेज भेजा की मैं उनसे मिलना चाहता हूं।
प्रिंसिपल साहब ने विशाल को अपने आॅफिस बुलाएं और विशाल से सारा बात सुनने के बाद वो आग बुलबुले हो गये और विशाल को लेकर कर क्लास में पहुंच गये और राॅकी और राधा को बुलाया सारा बात मालूम होने पर प्रिंसिपल साहब सबके सामने राॅकी को बहुत मारा और तुरंत पुलिस को फोन करके बुलाया पुलिस आकर राॅकी को ले गया और जेल में डाल दिया
लेकिन उस दिन राॅकी का सारे दोस्त बच गया प्रिंसिपल साहब ने उन सब का नाम काॅलेज से काट दिया और बाहर कर दिया
फिर प्रिंसिपल साहब ने विशाल का धन्यवाद किया
विशाल – भी कहा सर हमने तो अपना फर्ज निभाया और अब मैं चालत हूं
प्रिंसिपल साहब – ठीक है
और विशाल निकल गया राधा को कुछ कहें बीना
राधा तो जैसे तरपने लगी उन्हें ये होने लगा की छुट्टी कब हो और मैं विशाल को अपने पास बुलाकर अब उसे अपने बाहों में भर लूं दुनिया की सारे हदें पार कर जाऊं।
राधा को बेचैन देख रानी पुछने लगी
रानी – क्या हुआ राधा तुम्हारा तबियत तो ठीक है न
राधा – हां रानी मेरा तबियत तो ठीक है पर मन ठीक नहीं है
रानी – क्या कह रही है तु
राधा – मैं वहीं कह रही है जो तु समझ रही है
रानी – मतलब
राधा – तु नहीं समझ पाएंगी
क्लास चला और फिर छुट्टी हो गया तो
रानी – राधा तु कैसे आज बहकी-बहकी बातें कर रही है
राधा – रानी रीता तु बना दें हमें राम की सीता
रीता – रानी हमें अगता है राधा पर कोई जादू टोना हो गया है
राधा – तभी तो मेरे सिने का दिल खो गया है
रानी – वोऽऽऽऽ रीया राधा को प्यार हो गया है
रीता – पर किससे