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11 Jan 2022 · 1 min read

फिर से

उस करुण वेदना को ,
भूला भी नहीं था ।
उन छलके आंसुओं को
पोंछा भी नहीं था ।
कि फिर से वो दैत्य
सुगबुगाने लगा है ।
हवा में जहर
फिर से घुलने लगा है ।

अभी तो सुनी थी
वो शायरन की दहशत
अभी ही तो देखा था
युवाओं की मैयत
क्रंदन की शोर
फिर से गूंजने लगा है
हवा में जहर
फिर से घुलने लगा है ।

✍️ समीर कुमार “कन्हैया”

Language: Hindi
2 Likes · 270 Views
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