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22 Apr 2020 · 1 min read

फिर से।

भूल के हर उलझन को फिर से,
दिल में फूल खिलाया जाए,

चल ऐ दिल एक बार फिर से,
ख़ुद को ख़ुद से मिलाया जाए,

कर के कोई मासूम कल्पना फिर से,
अपने दिल को बहलाया जाए,

आवाज़ देके एक बार फिर से,
अपने बचपन को बुलाया जाए,

चंचल बहती हवाओं को फिर से,
हाल-ए-दिल सुनाया जाए,

किसी अंजान-अजनबी से मिलके,
रिश्ता कोई ख़ास बनाया जाए,

मस्ती में डुबो के खुद को फिर से,
“अंबर” जीवन-राग गुनगुनाया जाए।

कवि-अंबर श्रीवास्तव

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 330 Views
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