फिर से सताओ मुझको पहले की तरह,
फिर से सताओ मुझको पहले की तरह,
हमको तो पसंद है वो शरारत तुम्हारी।
पलकें बिछाए बैठे हैं राहों में,
करते हैं यूं ही इबादत तुम्हारी।
चाहे जो भी कह लो हमको तुम,
हमें तो प्यारी लगती है हर शिकायत तुम्हारी।
अगर मौत भी आ गई मुझे तो भी,
दिल में महफूज़ रहेगी मोहब्बत तुम्हारी।
तुम रूठे रहो न बोलो हमसे तो क्या,
फिर भी न कम होगी दिल से उल्फत तुम्हारी।
अगर प्यार नहीं है तुमको तो क्यों आते हो ख्वाबों में रोज़,
अच्छी नहीं है ये आदत तुम्हारी।
जी लेंगे हम ऐसे ही जीवन भर,
ये जिंदगी तो है बस इनायत तुम्हारी।