Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jan 2023 · 2 min read

फिर से सतयुग भू पर लाओ

विधी न्याय संकल्प प्रलापित,
किंतु कैसा कल्प प्रकाशित?
दुर्योधन का राज चला है,
शकुनि पाशे को मचला है।

एकलव्य फिर हुआ उपेक्षित,
अंधे का साम्राज्य फला है।
जब पांचाली वस्त्र हरण हो,
अभिमन्यु के जैसा रण हो।

चक्रव्यूह कुचक्र रचा कर,
एक रथी का पुनः मरण हो।
धर्मराज पाशे के प्यासे,
लिप्त भोग के संचय में।

न्याय नीति का हुआ विस्मरण,
पड़े विदुर अति विस्मय में।
अधर्म हीं आज रीत है,
न्याय तराजू मुद्रा क्रीत है।

भीष्म सत्य का छद्म प्रवंचन,
द्रोण माणिक पर करे हैं नर्तन।
धृष्ट्र राष्ट्र तो है हीं अंधे,
कुटिलों के हीं चलते धंधे।

फिर भी अबतक आस वही है ,
हाँ तुझपर विश्वास वही है।
हम तेरे हीं दर पर जाते,
पर दुविधा में हम पड़ जाते।

क्योंकि पाप अनल्प बचा है,
ना कोई विकल्प बचा है।
नीति युक्त ना क्रियाकल्प है,
तिमिर घनेरा आपत्कल्प है।

दिग दिगंत पर अबला नारी,
नर पिशाच के हाथों हारी।
हास लिप्त हैं अत्याचारी,
दुःसंकल्प युक्त व्यभिचारी।

संशय तब संभावी होता,
निःसंदेह प्रभावी होता।
धर्मग्रंथ के अंकित वचनों,
का परिहास स्वभावी होता।

आखिर क्यों वचनों को मानें,
बात लिखी उसको सच जाने।
आस कहां हम करें प्रतिष्ठित,
निज चित्त में ये प्रश्न अधिष्ठित।

जिस न्याय की बात बता कर,
सत्य हेतु विध्वंस रचा कर।
किए कल्प का जो अभियंत्रण ,
वही कल्प दे रहा निमंत्रण।

हे कृष्ण हे पार्थ सारथी,
सकल विश्व के परमारथी।
आर्त हृदय से धरा पुकारे,
धरा व्याप्त है आज स्वारथी।

नीति पुण्य का जब क्षय होगा,
और अधर्म का जब जय होगा।
तुम कहते थे तुम आओगे ,
कदाचार क्षय कर जाओगे।

कुत्सित आज आचार बड़ा है,
दु:शासन से आर्त धरा है।
कहाँ न्याय है कहाँ धर्म है?
दुराचार पथभ्रष्ट कर्म है।

क्या इतना नाकाफी तुझको,
दिखती नाइंसाफी तुझको?
दुष्कर्मी व्यापार फला जब,
किसका इंतज़ार भला अब?

तेरे कहे धर्म क्षय कब होता,
पापाचार का कब जय होता?
और कितने दुष्कर्म फलेंगे,
तब जाके तेरे पांव पड़ेंगे?

कान्हा आखिर कब आओगे?
बात कही जो कर पाओगे।
अति त्रस्त हम हमें बचाओ ,
धर्म पताका फिर फहराओ।

नीति न्याय का जो आलापन,
था उसका कुछ लो संज्ञापन।
वचनों में संकल्प दिखाओ,
फिर से सतयुग भूपर लाओ।

अजय अमिताभ सुमन

Language: Hindi
1 Comment · 320 Views

You may also like these posts

" टॉस जीतना हो तो "
Dr. Kishan tandon kranti
भारत में किसानों की स्थिति
भारत में किसानों की स्थिति
Indu Singh
संस्कार संस्कृति सभ्यता
संस्कार संस्कृति सभ्यता
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
यक्ष प्रश्न
यक्ष प्रश्न
Shashi Mahajan
मैं अलग हूँ
मैं अलग हूँ
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
■ अपना दर्द, दवा भी अपनी।।
■ अपना दर्द, दवा भी अपनी।।
*प्रणय*
वक़्त होता
वक़्त होता
Dr fauzia Naseem shad
ढूँढू मैं तुम्हे कैसे और कहाँ ?
ढूँढू मैं तुम्हे कैसे और कहाँ ?
Abasaheb Sarjerao Mhaske
मतदान करो
मतदान करो
पूर्वार्थ
ज़िंदगी कच्ची है सब जानते हैं
ज़िंदगी कच्ची है सब जानते हैं
Sonam Puneet Dubey
*अमृत-सरोवर में नौका-विहार*
*अमृत-सरोवर में नौका-विहार*
Ravi Prakash
आओ कान्हा
आओ कान्हा
Mahesh Jain 'Jyoti'
"" *आओ गीता पढ़ें* ""
सुनीलानंद महंत
खुदा किसी को किसी पर फ़िदा ना करें
खुदा किसी को किसी पर फ़िदा ना करें
$úDhÁ MãÚ₹Yá
जितने श्री राम हमारे हैं उतने श्री राम तुम्हारे हैं।
जितने श्री राम हमारे हैं उतने श्री राम तुम्हारे हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बुद्ध और अंगुलिमान
बुद्ध और अंगुलिमान
अमित कुमार
हे नर
हे नर
सिद्धार्थ गोरखपुरी
परिवार
परिवार
डॉ० रोहित कौशिक
गुमनाम
गुमनाम
Rambali Mishra
ठिकाने  सभी अब  बताने लगेंगे।
ठिकाने सभी अब बताने लगेंगे।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अजब-गजब
अजब-गजब
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
आज बुढ़ापा आया है
आज बुढ़ापा आया है
Namita Gupta
रुझान।
रुझान।
Kumar Kalhans
दूर करो माँ सघन अंधेरा
दूर करो माँ सघन अंधेरा
उमा झा
23/205. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/205. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
” असंतुष्टि की गाथा “
” असंतुष्टि की गाथा “
ज्योति
विषय-जिंदगी।
विषय-जिंदगी।
Priya princess panwar
ठंड
ठंड
Ranjeet kumar patre
मेरे दिल मे रहा जुबान पर आया नहीं....!
मेरे दिल मे रहा जुबान पर आया नहीं....!
Deepak Baweja
रंज-ओ-सितम से दूर फिरसे इश्क की हो इब्तिदा,
रंज-ओ-सितम से दूर फिरसे इश्क की हो इब्तिदा,
Kalamkash
Loading...