— फिर से दहशत –क्या खलेगी –
सुनाई देने लगी है
फिर से दहशत
सब के इर्द गिर्द
आ रहा है
चुनाव
बेशक कोई मरे या
मरने के लायक रहे
होकर ही रहेगा
चुनाव
सब को अपनी कुर्सी प्यारी
जैसे हो राज दुलारी
कुर्सी अब कहीं न जाए
मिल कर कर रहे तयारी
चाहे रहे
दुनिया में कोइ बिमारी
नेताओं को क्या
उनकी तो ममता है न्यारी
होने दो जो होगा
देखा ही जाएगा
कब्जे में आया
सारा देश ,प्रदेश
हाथ से तो नही जाएगा
वाह रे , जनता
तेरा भी जवाब नही
कल तक देती थी गालियाँ
अब देखना इन का रूप
फिर से बनेगी
सब के लिए जलेबियाँ
जनता महान है
महान ही रहेगी
किसी की जले चिता
किसी को नही खलेगी
अजीत कुमार तलवार
मेरठ