फिर से जिंदगी ने उलाहना दिया ,
फिर से जिंदगी ने उलाहना दिया ,
कि मैंने तुझे क्या क्या न दिया ?
मैंने भी कुछ हिसाब लगाकर जवाब दिया ,
सच तुमने जो भी दिया , बेहिसाब दिया ।
मंजू सागर
गाजियाबाद
फिर से जिंदगी ने उलाहना दिया ,
कि मैंने तुझे क्या क्या न दिया ?
मैंने भी कुछ हिसाब लगाकर जवाब दिया ,
सच तुमने जो भी दिया , बेहिसाब दिया ।
मंजू सागर
गाजियाबाद