फिर से ऐसी कोई भूल मैं
फिर से ऐसी कोई भूल मैं,चाहता नहीं हूँ अब करना।
बर्बाद खुद को किसी के लिए, चाहता नहीं अब करना।।
फिर से ऐसी कोई भूल मैं——————–।।
हमदर्दी यह इन यारों की, झूठी और है मतलबी।
इनका नहीं है दिल पवित्र, करते हैं दिखावा सभी।।
अच्छा हूँ मैं दूर इनसे, बेघर मुझको अब नहीं बनना।
बर्बाद खुद को किसी के लिए, चाहता नहीं अब करना।।
फिर से ऐसी कोई भूल मैं——————-।।
तुमसे किया था प्यार इतना,कुर्बान था सब कुछ तुम पर।
पीकर अपने ऑंसू मैंने, दी थी तुमको मैंने खुशी हर।।
दीवाना इन हसीनाओं का, चाहता नहीं हूँ अब बनना।
बर्बाद खुद को किसी के लिए,चाहता नहीं अब करना।।
फिर से ऐसी कोई भूल मैं——————-।।
आबाद मुझको भी होकर, बनाना है महलों- मुकाम।
बनना है ख्वाब हर दिल का, मुझको करें सभी सलाम।।
अपनी मंजिल-हस्ती-ईमान,चाहता नहीं मैं अब भूलना।
बर्बाद खुद को किसी के लिए, चाहता नहीं अब करना।।
फिर से ऐसी कोई भूल मैं——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)