★संघर्ष जीवन का★
फिर वही राह फिर वही मोड़ तो गुजरना क्या। मां है देवी पिता प्रभु है फिर दर दर भटकना क्या। फिर वही दरिया फिर वही नाव फिर वही वृक्ष फिर वही छांव ठहरना क्या। पार नदी के तुझको अब उतरना क्या। सुख-दुख बला ये तो जीवन है। फिर संघर्ष तुझसे डरना क्या। आज है कल कल आज है फिर बताओ कमल अब करना क्या। ★IPS KAMAL THAKUR ★