फिर वही पन्ना पलट कर सामने आ गया
बैठे थे गुमसुम किसी सोच में, खनकते हुई शब्दों के आगोश में ,
अचानक हुई आहट ,हवा के झोंकों की सरसराहट,
पुरानी यादों का झोंका ,जैसे आके टकरा गया ,
आँखों को आँसू की बूंदों से नहला गया,
आज फिर वही पन्ना पलट कर सामने आ गया ,
कल की हंसीं को मेरे होंठों पे बिखरा गया ,
खुलती हुई जुल्फें उड़ता हुआ आँचल,
खनकती हुई चूड़ियाँ ,छनकती हुई पायल,
माथे की बिंदिया, वो आँखों का काजल ,
उसका सुनहरा रूप दर्पण, याद सब कुछ दिला गया ,
आज वही पन्ना पलट कर सामने आ गया ,
कागज पे वैसे ही वो शब्दों की गजलें ,
कानों मे घुलती वो लबज़ों की लहरें,
हँसना वो रोना वो रूठना वो मनाना ,
छोटी-छोटी सी बातों पे यूं खिलखिलाना,
इतराना वो घबराना वो शरमा के भाग जाना ,
मीठी सी यादों को जैसे महका गया ,
आज वही पन्ना पलट कर सामने आ गया !!!!!!