फिर वही तन्हाई
फिर वही दौर
फिर वही बातें
फिर वही तन्हाई
फिर वही रातें
ठोकर पाँव को मिलते
तो शायद चले भी आते,
जख्म दिल के हैं कि
एक पग चलने नहीं देते।
तेरे आंखों की वह मस्ती
हमें तेरी ओर खींचे हैं,
पर बदलें तेरे तेवर
हमें हिलने नहीं देते।
आ भी जाये अगर
तो किस अंदाज से मिलेंगे तुमसे,
इसी डर से मेरे एहसास
मुझे मिलने नहीं देते।
हम मिलेंगें
पर सपने में होंगी मुलाकाते
फिर वही तन्हाई
फिर वही रातें
फिर वही दौर
फिर वही बातें