फिर मुलाकात होगी कभी..
जो हो न सकी
इस बार तो
फिर मुलाकात होगी कभी
इस जनम में न सही
तो अगले जनम में हीं कही
ये चांद रहेगा और रहेगा सूरज भी
तुम भी अपनी चाँदनी लिए रहना
मैं थोड़ा देर से आऊँ गर तो
तो तुम मेरा इंतज़ार
पूरी शिद्दत से करना
उसी पेड़ की ओट में
जिसमे खींची है मैंने
तुम्हारे नाम की लकीरें
क्या हुआ जो रास्ते बदल गए इस बार
अगली बार थमेंगे मंजिल पर ही कहीं
आखिर ,कुछ तो रहनी चाहिए कमी
फिर मुलाकात होगी कभी
ग़म तो है बहुत
की इस बार तुमसे कुछ कह न पाया
खैर अगली बार ही सही
तुमसे होगी फिर बात
कहीं न कहीं
इस जनम में न सही
तो अगले जनम में ही कहीं—-अभिषेक राजहंस