फिर मिलेंगे
इतमीनान तो रखिए,
बड़ी उलफत से मिलेंगे।
तुम्हारी महफिल में बेशक
हम इज्जत से मिलेंगे।
बेसब्र न हो इतना
मुझसे मिलने की खातिर,
साथी हूं बुरे वक्त का
कभी फुरसत से मिलेंगे।
@साहित्य गौरव
इतमीनान तो रखिए,
बड़ी उलफत से मिलेंगे।
तुम्हारी महफिल में बेशक
हम इज्जत से मिलेंगे।
बेसब्र न हो इतना
मुझसे मिलने की खातिर,
साथी हूं बुरे वक्त का
कभी फुरसत से मिलेंगे।
@साहित्य गौरव