फिर भी मुझसे अपनी होने की आशा रखते हो क्यों ? आर के रस्तोगी
जल भी विषेला हो चूका है,तुम्हारी विषेली बातो के कारण
वायु भी दूषित हो चुकी है,तुम्हारे मलिन मैल के कारण
अग्नि साक्षय बन चुकी है,जिसके समक्ष सात लिए थे फेरे
गगन भी आंसू बहा रहे है,तुम्हारी मार पीट के कारण
पृथ्वी भी काप चुकी है,तुम्हारे कंस जैसे अत्याचार के कारण
फिर भी मुझसे अपनी होने की आशा रखते हो क्यों ?
ये पांचो शक्तिया डगमगा उठी है,जिससे मनुष्य का जन्म होता है
मै इन सब मे विलीन हो जाउंगी,देखते है,तुम्हारा अब क्या होता है ?
अग्नि पूछेगी तुमसे,क्यों नहीं निभाये सात वचन जो दिए थे तुमने
मेरे माता पिता भी पूछेगे तुमसे,जिनसे दान लिया था मेरा तुमने
उनको क्या उत्तर देगो तुम,जिन्होंने पाल पोष कर दिया था तुमको
क्या है कोई उत्तर तुम्हारे पास,मुझेसे अपनी होने की आशा रखते हे क्यों ?
तुम्हारी इन सभी हरकतों के कारण,भगवान भी माफ़ न करेगा तुमको
मुझे मेरे भाग्य पर छोड़ दो अब,भले ही न कोई सजा मिले तुमको
अब तो पाप का घडा भर चूका है,कब तक निभाउंगी मै तुमको
आत्म हत्या करने जा रही हूँ,सब बन्धनों से मुक्त कर रही तुमको
इतना सब कुछ होने के बाद,मुझसे अपनी होने की आशा रखते हो क्यों ?
आर के रस्तोगी
मो 9971006425