फिर नसीब होगा
तू बडा खुश नसीब होगा
वो तेरे दिल के करीब होगा
जब भी होगा नाम तेरा लबों पर
उस दिन तेरा नसीब होगा
जिस दिन पिएंगे ज़ाम नाम का तेरे साक़ी
उस दिन ग़रीब का भी नसीब होगा
जूनून हो एक दिन इश्क़ में उसके
वो एक दिन भी तेरे नसीब होगा
तब्बसुम (मुस्कुराहट)ही तोहफ़ा है उनका
वो दिन भी अब क़रीब होगा
तिश्रगी होगी इश्क़ में तेरे
तसव्वुर(कल्पना)में तू उनके क़रीब होगा
तरक्की की है उसने दिन और रात
तेरे बिन अब भी वो बदनसीब होगा
नज़्म पढ़ते है वो रात भर
नदीम (घनिष्ठ मित्र)अब वो गरीब होगा
नाचीज़ है आज भी उनकी सोहरत
नौजवानी में नासाज़ (असंतुष्ट) बदनसीब होगा
बे कस(अकेला,मित्रहीन) बेक़रार है भूपेंद्र से मिलने को
बे कस ग़रीब का आज फ़िर नसीब होगा
भूपेंद्र रावत
20।08।2017