फिर ख्याल आए तेरा तो मैं क्या करूँ !
फिर ख्याल आए तेरा तो मैं क्या करूँ !
हमने चाहा यही हम न चाहें तुम्हें,
फिर ख्याल आए तेरा तो मैं क्या करूँ !
दिल में एक आरज़ू की लहर सी उठे,
ये लहर थम न पाए तो मैं क्या करूँ,
दर्दे दिल का वयाँ हमसे मुमकिन नहीं,
और छुपा भी न पाऊँ तो मई क्या करूँ,
तुम को खत प्रेम के मैं लिखूं रात- दिन,
और लिखे भी न जाएँ तो मैं क्या करूँ,
तुम को देखूं न गर तो सुकूँ न मिले,
और मिला भी न जाये तो मैं क्या करूँ,
हर घडी हमने चाहा भुला दूँ तुम्हें,
पर भुलाया न जाये तो मैं क्या करूँ,
मैंने चाहा मैं खुद को बना लूँ खुदा,
पर खुदाई न जाये तो मैं क्या करूँ,
हमने चाहा यही हम न चाहें तुम्हें,
फिर ख्याल आए तेरा तो मैं क्या करूँ !