फिर कोशिश कर लेना
देखो आज
एक बेटा
बड़ा हो गया
सीख थी जो
कल तक
आज व्ययवधान हो गया
कहता था जिसे
छाता अपना
आज बोझिल
नाता हो गया
बुजुर्गों की छाया
पराधीनता लगे
स्वछन्दता की चाह में
पर लगे
बेटा गया
बाप के पास
(दबी जुबान से बोला)
जो चाहिए ले लो
और मुझेअब
छुटकारा दे दो
जाते-जाते अन्तिम सीख
चाहो तो देते जाओ
सुन सब कुछ
बाप इतना ही बोला
मेरे को तो
ख़याल ही आया था
चुकाने का कर्ज
माँ-बाप का
सजा मिली
मुझे इतनी
मैं जहाँ था
वहीं रह गया
सीख मेरी
बस एक ही
संस्कृति लगने लगे
जब बोझिल तुझे
अपने जीवन को
विराम दे देना
कोई बात नहीं
जो कर ना सके
इस जीवन में
अगले जनम
फिर कोशिश कर लेना
—— सुनील पुरोहित —–
जोधपुर ( राजस्थान )