फिर कलम रो पड़ी, मुक्तक
इश्क में इश्क की हर कसम रो पड़ी
जब भी धोखा मिला आँख नम रो पड़ी
इश्क में दर्द की इंतहा देख कर
शायरी फिर ग़ज़ल फिर कलम रो पड़ी
©
शरद कश्यप
इश्क में इश्क की हर कसम रो पड़ी
जब भी धोखा मिला आँख नम रो पड़ी
इश्क में दर्द की इंतहा देख कर
शायरी फिर ग़ज़ल फिर कलम रो पड़ी
©
शरद कश्यप