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28 May 2022 · 1 min read

फिर एक समस्या

हर रोज एक उलझन बनी रही
फिर एक समस्या खड़ी हुई
सब कुछ था सीदा सादा सा
बनती हुई बाते बिगड़ गई
हर पहलू को जब समझाया तो
उनके पहलू कुछ और ही थे
जितना संजीदा मैं खुद था
उतने संजीदा वो भी थे
कुछ कागज के टुकड़ों में
एक सुलझी गुत्थी उलझ गई
उनको अपना कुछ कहना था
मेरा अपना भी तो कुछ हित था
शायद दोनों ने ज्यादा सोच लिया
इसलिये ये उलझन बनी रही
फिर एक समस्या खड़ी हुई

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 408 Views
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