” फिर आ गए चुनाव”
फिर आयी गति में स्वयं,,आरक्षण की नाव!
निश्चित भारत वर्ष मे..फिर आ गये चुनाव!!
बिरयानी बँटने लगी,बँटने लगा पुलाव !
शायद मेरे देश में, फिर आ गए चुनाव !!
खूब दिए हैं आज तक, महंगाई ने घाव !
इसे बढाने के लिए ,फिर आ गए चुनाव !!
रमेश शर्मा