फिर आया कालिय नाग (भक्ति-गीत)
फिर आया कालिय नाग 【भक्ति-गीत】
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कृष्ण ! तुम्हारी यमुना में फिर आया कालिय नाग
(1)
सौ-सौ फन से रोज कर रहा पानी घोर विषैला
दीख रहा है यमुना का जल दूर-दूर तक मैला
उफन रहा है विषधर मुख से मोटे – मोटे झाग
कृष्ण ! तुम्हारी यमुना में फिर आया कालिय नाग
(2)
गँदले जल में कौन नहाए घाटों पर सन्नाटा
पूजा व्रत त्योहार मनाना जैसे कोई घाटा
दिल्ली से दूषित जाती है बहकर नदी प्रयाग
कृष्ण ! तुम्हारी यमुना में फिर आया कालिय नाग
(3)
फिर आओ हे कृष्ण ! नाग के फन पर नृत्य दिखाओ
लड़ो युद्ध घनघोर इस तरह जल को शुद्ध कराओ
करो पराजित विषधर को , जाए यमुना से भाग
कृष्ण ! तुम्हारी यमुना में फिर आया कालिय नाग
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451