फिराक में तेरे लगता है कि घर खाली है।
?? ग़ज़ल ??
फिराक में तेरे लगता है कि घर खाली है।
करूं इजहार तो जज्बात की पामाली है।
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तुझको दुनिया की निगाहों से बचा कर रख लूं।
तुम चले आओ मेरे दिल का मकां खाली है।
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तेरी आंखो में शरारत है तू महबूबा है।
मेरी हमदम मेरी हमराज़ मेरी घरवाली है।
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मुद्दतों दिल को संभाला है सगीर उसके लिए।
तब कहीं जाके मुहब्बत की नज़र डाली है।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाज़ार बहराइच यूपी
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