*फितरत*
फितरत
फितरत अच्छा अरु बुरा,जैसी हो रणनीति।
उपकारी फितरत भला,सदा जगाये प्रीति।।
मानववादी वृत्ति है,प्रिय फितरत का रंग।
जिसका शुभग स्वभाव है,उसका पावन अंग।।
दर्शनीय फितरत सदा,करता है कल्याण।
कुत्सित चालाकी दुखद,हर लेती है प्राण।।
जिसके उत्तम भाव हैं,उसका फितरत सभ्य।
जिसके गंदे भाव हैं,उसका हृदय असभ्य।।
फितरत सुधा अमोल जो,रखे सभी का ध्यान।
पावन मानस तंत्र का,होता नित गुणगान।।
फितरत मोहक शैल की,उन्नत शिखा विशाल।
जिसके सुन्दर कर्म हैं,उस पर सभी निहाल।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।