फितरत
फितरत
उन्हें पानें के लिए हर ग़म भुला देंगे
वो चाहते हैं हम अपनी फितरत बदलकर आएंगे।
क्या मैं तुम्हारी पलकों पर बस जाऊं
तुम क्यों चाहते हो मैं तुम्हारे पास
अपनी फितरत बदलकर आऊ।
तुम्हें शक अगर मेरी फितरत पर था
तो तुमने ये क्यों कहा कि मैं तुम्हारी
किस्मत में था।
जब कोई मेरे पास आता है तुम क्यों
उदास हो जाते हो
मेरी फितरत गलत बताकर मुझे
बेकार बताते हैं।
घबराना मत कभी कभी फिक्र पीछे ले आती है
हमारी फितरत ही हमें हमारी मंजिल तक पहुंचाती है।