फितरत
मनहरण घनाक्षरी
फितरत अच्छी बुरी ,
सपाट या खुरदुरी ,
स्वभाव में झलकती ,
आदत सुधारिए।
जैसी जिसकी प्रकृति ,
मानव मन प्रवृति ,
सतसंग से प्रेरित,
प्रयास तो कीजिए ।
अवसर के मिलते,
दुष्ट भाव मचलते ,
फितरत से खुद को ,
संभाल ही लीजिए ।
बनता संयोग जब ,
फितरत श्रेष्ट तब ,
नेकी ही करते चल,
कर्म पथ चुनिए।
राजेश कौरव सुमित्र