फितरत
आग की फितरत अगर जलाना है,
आब की फितरत उसे बुझाना है,
दुश्मनों का हो भले गर्दन दबाना
दोस्त की फितरत गले लगाना है,
आँधियां बेशक उजाड़ देती हैं
फितरत-ए-पंछी तो घर बसाना है,
हमने सीखा है उसी से दिल लगाना
जिसकी फितरत में न दिल लगाना है,
आग की फितरत अगर जलाना है,
आब की फितरत उसे बुझाना है,
दुश्मनों का हो भले गर्दन दबाना
दोस्त की फितरत गले लगाना है,
आँधियां बेशक उजाड़ देती हैं
फितरत-ए-पंछी तो घर बसाना है,
हमने सीखा है उसी से दिल लगाना
जिसकी फितरत में न दिल लगाना है,