फिजूल।
कलियों को फूल बनते देखा है।
मासूमियत को शूल बनते देखा है।।
इतनी मोहब्बत अच्छी नहीं है।
मैने दिलो को फिजूल होते देखा है।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍
कलियों को फूल बनते देखा है।
मासूमियत को शूल बनते देखा है।।
इतनी मोहब्बत अच्छी नहीं है।
मैने दिलो को फिजूल होते देखा है।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍