फादर्स डे ।
ज़िन्दगी में ख़ुद सारी मुश्किलें जो सहता है ,
एक पिता ही है जिनके अंदर ये सारा गुण रहता है ।
लाख मुश्किलें , परेशानियां आ जाए मगर ..
फिर भी चेहरे पे हँसी और किसी से नही कहता है ।
कोई डैडी , कोई अब्बू , कोई पापा बुलाता है
अपनी अपनी बातें उन्हें ही जाकर बताता है ।
है कैसी रहमतें ख़ुदा की जो बख्शा है ये दौलत
हर बच्चों को देख कर पापा हमेशा मुस्कुराता है ।
वो कंधो पर उठा कर सारा संसार घुमाता है ,
वो बूढ़े भी हो जाए मगर जवानी का अहसास दिलाता है ।
ख़ुदा रखना सलामत इस दुनिया मे पिता को ,
उन्हें देख – देख कर सब में एक जोश उमड़ जाता है ।
उंगली पकड़ कर हमें वो चलना सिखाता है ,
अगर गिर पड़े तो सही राह भी वो दिखाता है ।
शब्दों से बयां हो जाए ऐसी कोई शब्द नही ,
ऐसी किरदार है कि हर कोई उन्हें पिता बुलाता है ।
मेरी क़ामयाबी उन्ही की शान को बताता है ,
वो मुझमें सारा जहांन को बताता है ।
हा मैं हो जाऊं कितना भी बड़ा उम्र से मग़र
उनके नज़र में हर कोई बच्चा ही कहलाता है ।
-हसीब अनवर