फागें
रंग रसिया खेलें फाग ब्रज में आ गई है री होली।
उड़त है रंगे गुलाल ब्रज में आ गई है री होली।।
ग्वाल बाल सब रंगे रंगीले लग रए कैसे छैल छबीले।
भर भर मारें रंग पिचकारी चुन चुन देवें सखियां गारी।।
दांत निपोरें बेशर्मी से करत हैं हंसी ठिठोली।
ब्रज में आ गई है री होली।।
बरसाने के हुरयारे आए नंद के द्वारे फागें गाएं।
बरन बरन के लोग लुगैया नाचें मोहन था था थैया।।
राधा जू की छवि निराली मिल रये गले हमजोली।
ब्रज में आ गई है री होली।।
उमेश मेहरा (शिक्षक)
गाडरवारा (एम पी)
9479611152