फागुन
चली बसंती हवा सुहानी ,फागुन आया झूम के।
टेसू फूले बगियां महकी, मौरे अमुआ झूम के।।
खेतों में छाई हरियाली, सरसों अलसी महक रहीं।
मेरे घर आंगन चौबारे, कितनी चिड़ियां चहक रहीं।।
शीतल चंचल हवा हिलोरे, तन मन को सिहराये।
कोयल कुहके डाल डाल पर ,भंवरे दिनभर गाएं।।
कुमुद कामिनी भई मतवाली, फूल फूल को चूम के।
चली बसंती हवा सुहानी, फागुन आया झूम के।
ब्रज की छटा अजब निराली ,कान्हा खेलें होरी।।
सखियों के संग राधा खेलें, भर भर के पिचकारी।
भक्ति रंग में रंगी हैं मीरा,प्रेम के रंग में राधा।।
हुलक हुलक देखें कान्हा को, बलिहारी हैं यशोदा।
रंग रंगीले अंबर धरती, नाचे घूम घूम के।।
चली बसंती हवा सुहानी, फागुन आया झूम के।