फागुन
छन्द-वाद्विभक्ती छन्द
#फागुन-
अब आइ गइल फागुन,मन धीर धरे कहँवाँ।
सब खेल रहल होली,शुचि प्रेम बसे जहँवाँ।।
बउराइ गइलि बगिया,मधुमास सुहावन बा।
उजियार भइल दुनिया,हर चीज लुभावन बा।।
मद मस्त भइल जन मन,सब गाइ रहल फगुआ।
सुनि लोग हंँसे गारी,मारे न कबो ठकुआ।।
भें रंग अबीरा से,हुरदंग करें मिलि के।
बुढ़वो न लजाँ तनिको,ऊ नाच करें खिलि के।।
तिहुआर दिखे नियरे,परदेश न भावेला।
सब कार छोड़ि पहुँचे,ना देर लगावेला।।
सब बैर भुला मन के,गलहार करें ए दिन।
गुलज़ार लगे सगरो,संसार घरी पल छिन।।
**माया शर्मा, पंचदेवरी, गोपालगंज (बिहार)**