“फागुन गीत..2023”
लदा बाली से, आता पास,
जगाकर प्रेमातुर सी आस।
कहे गेहूँ, सरसों से आज,
दिला दो, यौवनमय अहसास।।
मोहता मन, मदमस्त, मयूर,
भ्रमर का अद्भुत वह गुँजार।
पुष्प पुलकित, पावन, परिदृश्य,
तितलियाँ करें नृत्य साभार।।
पवन पगली, पग-पग परिहास,
लगी क्यों करने, हो बिन्दास।
महक मादक, मकरन्दोँ युक्त,
जगाती जाती उर उल्लास।।
बौर अमराइन, फगुनी सोँध,
हृदय सुरभित, स्नेहिल सत्कार।
कूक कोयल की करे विभोर,
पपीहा, प्रेमिल, पीयु पुकार।।
चली सजनी इठलाती किधर,
किये विधि से सोलह श्रृंगार।
चाल उन्मुक्त, दृष्टि अनुरक्त,
स्वप्न सतरँगी सजे हज़ार।।
ओढ़ चूनर बासन्ती आज,
धरा टेसू से होती लाल।
मिलन के रंग दिखे हर ओर,
प्रणय का, उड़ने लगा गुलाल।।
दे गया आज, लगे ऋतुराज,
एक सुमधुर, स्वर्णिम सौगात।
अधर थर-थर करते, पर मौन,
हो गई नयनों-नयनों बात।।
न कोई किन्तु , न ही अर्थात,
उठा मन उद्गारों का ज्वार।
मिटे सब बाधा, विघ्न, विकार,
जीत “आशा” की, तम की हार..!