*फागुन कह रहा मन से( गीत)*
फागुन कह रहा मन से( गीत)
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कुछ करो संवाद, फागुन कह रहा मन से
( 1 )
गर्दन हठीली को झुका, मधुराग गाओ
रूठी हुई है जो हँसी ,उसको मनाओ
प्रश्न चल कर आ रहे हैं, आज निर्जन से
( 2 )
फूल को पत्ती लुभाए, नर्म बातों से
दूरियाँ दिन की घटें , अब व्यस्त रातों से
राजपथ सँवरा दिखे, आवागमन जन से
( 3 )
शीत का मौसम गया, बाँधे हुए बिस्तर
धूप नारंगी उतरती, जा रही घर – घर
मखमली चलने लगी, शुभ वायु उपवन से
कुछ करो संवाद, फागुन कह रहा मन से
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रचयिता : रविप्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451